भोपाल। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बुधवार को भोपाल सामूहिक दुष्कर्म मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी विधायक प्रश्नकाल के दौरान गर्भगृह में आ गए, जिससे 10 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित करना पड़ी। कांग्रेस विधायक कार्यवाही रोककर भोपाल सामूहिक दुष्कर्म मामले को लेकर चर्चा करने की मांग करते रहे। उनका आरोप है कि प्रदेश में हर दिन दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन सरकार संजीदा नहीं है।
संसदीय कार्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे उमाशंकर गुप्ता ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर हम कानून बनाने जा रहे हैं, सारी कार्रवाई हो चुकी है। इस विषय पर प्रश्नकाल रोककर चर्चा कराने का कोई औचित्य नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष ने भी विपक्ष को समझाने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल चलने दें, गृह विभाग के पांच सवाल लगे हैं जो काफी महत्वपूर्ण हैं। इसी तरह राजस्व विभाग के भी महत्वपूर्ण सवाल लगे हुए हैं। कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि सरकार ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी चर्चा नहीं करना चाहती है। जबकि इसके लिए 8 दिन पूर्व ही स्थगन प्रस्ताव दिए जा चुके हैं।
कांग्रेस के डॉक्टर गोविंद सिंह, रामनिवास रावत, तरुण भनोत, सचिन यादव सहित सभी विधायकों ने एक सुर में कहा कि प्रदेश में प्रतिदिन बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं, कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार की व्यवस्था फेल हो चुकी है। ऐसे में इस गंभीर मुद्दे पर सदन में चर्चा कराया जाना बेहद जरूरी है।
वहीं उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि स्थगन को लेने का कोई औचित्य नहीं है सरकार की ओर से सारे कार्यवाही की जा चुकी है। सरकार दुष्कर्म जैसे मामले में फांसी की सजा देने जैसा कड़ा कानून बनाने जा रही है अनुपूरक बजट आज प्रस्तुत होने वाला है। विपक्ष चाहे तो इसमें भी इस मुद्दे पर चर्चा कर सकता है, इसके साथ ही गृह विभाग के जो सवाल लगे हैं उसमें भी अवसर है पर विपक्ष सत्ता पक्ष की बात सुनने को राजी नहीं हुआ।
विपक्षियों ने आरोप लगाया कि सरकार चर्चा से बचना चाहती है सदन में हंगामे के दौरान गृहमंत्री भूपेंद्र से अपने स्थान पर चुपचाप बैठे रहे उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम के दौरान एक शब्द भी नहीं बोला। बाबूलाल गौर ने सत्ता पक्ष की ओर से विपक्ष से गुजारिश की कि सदन को चलने दें, निम्न अनुसार प्रश्न होने दें लेकिन उनकी बात को भी अनसुना कर दिया गया।