श्योपुर। विजयपुर के जंगलों में बसे पैरा गांव में बीमारी ने छह मासूमों की जान ले ली है। मृतकों में से चार बालिका और दो बालक हैं, जिनकी उम्र सवा से दो साल के बीच है। यह सभी मौतें तीन दिन के अंतराल में हुई हैं। बच्चों की मौत की खबर विजयपुर के अफसरों को गुरुवार की सुबह लगी तब पूरा अमला हरकत में आया है।
पैरा गांव में बुखार, मलेरिया और चर्मरोग का कहर बरपा हुआ है। स्थिति यह है कि गांव के हर घर में कोई न कोई बीमार पड़ा है। कई परिवार ऐसे हैं जिसके सभी सदस्य खटिया पर हैं। यह मौसमी बीमारी मासूम बच्चों की जान पर भारी पड़ रही है।
सोमवार 27 अगस्त को पैरा गांव में रामवरण आदिवासी की दो साल की बेटी शालू ने दम तोड़ दिया। इसके करीब चार घंटे बाद रामेश्वर आदिवासी की पौने दो साल की बेटी गौरी की मौत हो गई। इन दोनों बालिकाओं को दो दिन से बुखार था।
इससे पहले 26 अगस्त को गल्जू आदिवासी के 18 महीने के बेटे राजू और गोविंदा आदिवासी के 20 माह के बेटे की मौत हो गई। 25 अगस्त को इसी गांव के रामजी और खैरी आदिवासी के सवा-सवा साल के बेटों की मौत हो गई। रामजी और खैरी ने तो बेटों के नाम भी नहीं रखे और बीमारी ने उन्हें छीन लिया। लगातार हो रही मौतों से पूरे गांव में दहशत का माहौल है।
टीम को मिले 75 मरीज, हर बच्चा बीमार
पैरा गांव में छह बच्चों की बीमारी से मौत की सूचना गुरुवार की सुबह विजयपुर एसडीएम को मिली। इसके बाद एसडीएम ने तत्काल मृतक बच्चों की सूची सहित पैरा गांव के हालातों की जानकारी ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. एसएन मेवाफरोश को जानकारी भेजी।
डॉ. मेवाफरोश अपनी टीम लेकर पैरा गांव पहुंचे। डॉक्टर मेवाफरोश के सामने ग्रामीणों ने बच्चों की मौत की जानकारी दी। इसके बाद गांव में शिविर लगाकर लोगों की सेहत जांची तो गांव में 75 से ज्यादा मरीज मिले। गांव के अधिकांश बच्चे बीमार थे। गांव में बुखार और चर्मरोग का प्रकोप है।
इनका कहना है
हमने पैरा गांव में शिविर लगाया था। छह बच्चों की मौत की जानकारी ग्रामीणों ने दी है, जिनमें से 4 की मौत पैरा गांव में हुई है, जबकि दो की दूसरे गांव में हुई है। गांव में 75 से ज्यादा मरीज मिले हैं। सभी को इलाज दिया जा रहा है। अब हालात काबू में हैं।
डॉ. एसएन मेवाफरोश ब्लॉक मेडिकल अफसर, विजयपुर