कानपुर। कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की शहादत ने सभी को हिलाकर रख दिया है। चौबेपुर में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गए 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। वहीं 5 जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे हैं। इस पूरे मामले में यह सामने आया है कि विकास को पुलिस के आने की भनक पहले से ही थी इसलिए वह हमले के लिए पूरी तरह तैयार था।  विकास दुबे के पुलिस से नजदीकी रिश्ते थे। शायद यही वजह थी कि कई साल पहले जब पूर्व मंत्री संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या की थी, तब वहां पुलिकर्मी भी मौजूद थे, लेकिन किसी ने विकास के खिलाफ गवाही नहीं थी और वह बरी हो गया था। बिकरू केस की जांच एसटीएफ के पास आने के बाद से ऐसी कई जानकारियां सामने आई हैं।
 

फिलहाल अफसर यह मानकर चल रहे हैं कि दबिश की जानकारी विकास तक थाने के ही किसी अंदरूनी शख्स ने पहुंचाई थी। इससे वह अलर्ट हो गया और अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को रात में ही घर बुला लिया। अत्याधुनिक असलहे भी जमा कर लिए। सूत्रों के मुताबिक उसके पास एके-47 और ऑटोमैटिक राइफलें भी थीं। एसटीएफ इस संबंध में चौबेपुर के एसओ से भी पूछताछ कर रही है।
 

आरोप यह भी है कि चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी के विकास से घनिष्ठ संबंध थे। आरोप है कि होली में बिकरू गांव के ही राहुल तिवारी को विकास और उसके साथियों ने जान से मारने का प्रयास किया। इसके बावजूद विनय ने एफआईआर नहीं दर्ज की। राहुल ने सीओ देवेंद्र मिश्रा से गुहार लगाई तो उनके हस्तक्षेप के बाद केस दर्ज किया गया।


चर्चा यह भी है कि दो दिन पहले राहुल तिवारी के मामले में ही चौबेपुर एसओ बिकरू गांव गए थे। वहां विकास से लंबी बातचीत के बाद हाथ में गंगाजल उठवाकर उसे शपथ भी दिलवाई गई थी। हालांकि इन तथ्यों पर कोई खुलकर बात करने को तैयार नहीं है। शुक्रवार रात हुए ऑपरेशन में भी चौबेपुर एसओ पीछे थे। सूत्रों के अनुसार, देर रात तक एसटीएफ चौबेपुर एसओ से पूछताछ कर रही थी।
 आरोप यह भी है कि चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी के विकास से घनिष्ठ संबंध थे। आरोप है कि होली में बिकरू गांव के ही राहुल तिवारी को विकास और उसके साथियों ने जान से मारने का प्रयास किया। इसके बावजूद विनय ने एफआईआर नहीं दर्ज की। राहुल ने सीओ देवेंद्र मिश्रा से गुहार लगाई तो उनके हस्तक्षेप के बाद केस दर्ज किया गया।

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