ग्वालियर। यदि आप किसी भी कंपनी ब्राॅडबैंड कनेक्शन उपयोग कर रहे है, तो अपना वाई-फाई कोड की सिक्योरिटी रखे, उसे किसी को न बतायें, अन्यथा आपके वाई-फाई का उपयोग करने वाले किसी भी व्यक्ति की हरकत के आप जिम्मेदार होंगे। लेकिन आमतौर पर ब्राॅडबैंड यूज करने वाले लोग अपना वाई-फाई में कोड की सिक्योरिटी नहीं करते, जिससे कभी भी वह किसी भी व्यक्ति द्वारा इंटरनेट का गलत उपयोग करने पर फंस सकते है।
सायबर क्राइम सेल पर आजकल ऐसे भी मामले सामने आ रहे है। पुलिस ने रोजनामचे में आम अपराधों के दर्ज होने के साथ ही सायबर सेल में सायबर से संबंधित अपराध पहुंच रहे है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के सूत्रों के मुताबिक बीते वर्ष देशभर में सायबर सेल के समक्ष 25800 से भी अधिक मामले सामने आये, जो निश्चित तौर पर एक चिंता की बात हैं। सायबर सेल में बैंक फ्राड, एटीएम व इंश्योरेंस फ्राड के अलावा जो सबसे ज्यादा चैंकाने वाले अपराध सामने आ रहे है, वह ब्राॅडबैंड में वाई-फाई सुरक्षा को लेकर की गई लापरवाही के कारण उपजे थे।
इन ब्राण्ड बैंड से वाई-फाई नेट का उपयोग कर शातिर कम्प्यूटर व मोबाइल के एक्सपर्ट लोगों ने गलत डाटा ट्रांसफर किये व बैंक डिजीटल लेनदेन में गड़बड़ी भी कर दी। विशेष बात यह है कि जिसके यहां व नाम से ब्राॅडबैंड कनेक्शन हैं उसे अपराध का पता ही नहीं चला। जब सायबर क्राइम सेल गहराई में गया तो अपराध वाले व्यक्ति का पता तो चल ही नहीं पाया, लेकिन जो ब्राॅडबैंड व नेट का अधिकृत यूजर है। सायबर टीम ने उसे ही आरोपी माना, क्योंकि उसके ब्राॅडबैंड नेट के उपयोग से अपराधी ने अपराध किया था।
सायबर क्राइम सेल के पुलिस अधीक्षक सुधीर अग्रवाल कहते है कि ब्राॅडबैंड यूजर को किसी भी बाहरी व्यक्ति को अपना वाई-फाई पासवर्ड नहीं देना चाहिये, यदि देना भी है तो संबंधित व्यक्ति का पूरा रिकार्ड अपडेट रखना चाहिये, ताकि जरूरत पड़ने पर उसे खोजा भी जा सकें। अग्रवाल के अनुसार सायबर क्राइम बढ़ना चिंता का विषय है और हम विभाग में ऐसे सायबर एक्सपर्ट की तलाश भी कर रहे हैं। विभिन्न जिलों व थाना स्तर पर भी सायबर एक्सपर्ट भी लगाये जा रहे हैं।
सायबर क्राइम का तेजी से बढ़ना चिंता का विषय हैं, विशेषकर युवा पीढ़ी ही जाने अनजाने में सायबर क्राइम की चपेट में आ रही हैं।