इंदौर। अकसर खबरें आती हैं, किसी बड़े पद पर चयनित होने की, किसी परीक्षा में अव्वल आने की या कोई बड़ा तगमा हासिल करने की। लेकिन, एमपीपीएससी( MPPSC Topper) में चौथी रैंक हासिल करने वाले मयंक तिवारी( MPPSC Topper Mayank Tiwari) की खबर इन सबसे बेहद जुदा है। हाल ही में घोषित एमपी-पीएससी परीक्षा परिणामों में चौथा पद हासिल कर टॉप रैंक के साथ डिप्टी कलेक्टर पद पर चयनित मयंक तिवारी ने पुलिस में डीएसपी बनना चुना।

मयंक प्रशासनिक पद पर रहने के बजाय मैदान में उतरकर प्रदेश से अपराध की गंदगी साफ करना चाहते हैं। ‘नईदुनिया’ से चर्चा में मयंक ने बताया कि जब वे अपने गृहनगर अनूपपुर के स्कूल में पढ़ते थे, तब वहां एक तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी आए। उनके आते ही एकाएक शहर का माहौल बदल गया। अवैध शराब और जुए के अड्डे बंद हो गए, सड़क पर गुंडागर्दी खत्म हो गई। एक वर्दी वाले के सही काम करने से पूरे शहर को बदलते देखा। दूसरी ओर, पंजाब में पुलिस महानिदेशक और सुपरकॉप के तौर पर पहचाने जाने वाले केपीएस गिल के ऑपरेशन ब्लैक थंडर ने बहुत प्रभावित किया। इसके साथ ही वर्दी से प्यार हो गया। खुद को मैं किसी और पेशे में देख ही नहीं सकता था।

मयंक ने कहा कि पढ़ाई करते वक्त अपराधों की रिपोर्ट में देखा करते थे कि मध्यप्रदेश महिला अपराध में देश में अव्वल है, एफआईआर दर्ज होने के मामले में दूसरे स्थान पर है। यह बात बहुत बेचैन करती थी। यह देख लगता था कि प्रदेश में किसी भी अन्य क्षेत्र से पहले लॉ एंड ऑर्डर पर काम करने की जरूरत है। मेरा वर्दी पहनने का जुनून इतना ज्यादा बढ़ गया था कि पांच बार प्री तक नहीं निकलने के बाद भी कभी किसी दूसरी नौकरी या प्रोफेशन के बारे में नहीं सोचा। परिवार से हमेशा प्रोत्साहन मिला तो मैं अपनी मंजिल पाने के लिए डटा रहा। मयंक के पिता राजेंद्र प्रसाद तिवारी पेशे से शिक्षक हैं।

मयंक कहते हैं कोई भी पद बड़ा या छोटा नहीं होता है। मेरे लिए यह मायने नहीं रखता कि मैं कलेक्टर बनूं या डिप्टी कलेक्टर, मुझे तो वर्दी से प्यार है। प्रदेश में विकास हो रहा है, यानी प्रशासनिक स्तर पर अच्छा काम हो रहा है। इस समय प्रदेश में जरूरत है कानून व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने की। अब यूपीएससी की तैयारी कर रहा हूं लेकिन इसमें भी चयन होने पर कलेक्टर पद नहीं लूंगा बल्कि आईपीएस अधिकारी बन वर्दी ही पहनूंगा।

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