भोपाल। लोकसभा चुनाव के बाद एक्शन मोड में आई कमलनाथ सरकार अब प्रदेश में साल दर साल बढ़ रही रैगिंग की घटनाओं पर लगाम कसने जा रही है। इसके लिए सरकार प्रिवेंशन ऑफ रैगिंग एक्ट लाने की तैयारी कर रही है। जिसके तहत अगर कोई छात्र शुरुआती जांच में ही रैगिंग का दोषी पाया जाता है तो उसे संस्थान से बर्खास्त कर दिया जाएगा। इसके साथ ही टीसी और माइग्रेशन में इस बात का जिक्र होगा और देशभर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने अपील की जाएगी की मध्यप्रदेश में रैगिंग में बर्खास्त छात्रों को तीन साल तक एडमिशन न दिया जाए।

देश में एमपी रैगिंग के मामलों में दूसरे नंबर पर है। बीते दस सालों की बात की जाए तो 648 केस सामने आए है। इनमें से कई छात्रों ने परेशान होकर सुसाइड कर ली तो कईयों द्वारा कोशिश की गई।हाल ही 2018 को भोपाल के एलएन मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस सेकंड ईयर के छात्र यश पाठे ने रैगिंग और सीनियरों की प्रताणना से डिप्रेशन में आकर सुसाइड कर लिया था।

दरअसल, राज्य विधि आयोग की सिफारिश पर सरकार ने प्रिवेंशन ऑफ रैगिंग एक्ट बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। आयोग ने सरकार को एंटी रैगिंग कानून का पूरा ड्राफ्ट बनाकर दे दिया है। इसमें सख्त प्रावधान यह किया गया है कि रैगिंग की शिकायत मिलते ही आरोपी छात्र को कॉलेज से तुरंत निष्कासित और प्रारंभिक जांच में ही शिकायत सही पाने जाने पर छात्र को संस्थान से बर्खास्त कर दिया जाएगा। इसके बाद अगले तीन साल तक आरोपी छात्र को देश के किसी भी संस्थान में प्रवेश नहीं मिल सकेगा। माना जा रहा है कि जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में यह विधेयक लाया जा सकता है।नए एक्ट में एफआईआर दर्ज करने के बाद कोर्ट से ही ज़मानत का प्रावधान भी होगा।

‘मप्र प्रोहिबिटेशन ऑफ रैगिंग एक्ट 2019’ का ड्राफ्ट विधि आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड हाईकोर्ट जस्टिस वेदप्रकाश ने तैयार किया है। आयोग ने ‘प्रीवेंशन ऑफ रैगिंग इन एजुकेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मध्यप्रदेश’ नाम से एक डिटेल रिपोर्ट विधि विभाग के माध्यम से उच्च शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और गृह विभाग को भी भेजी है।

बीते पांच साल का रिकॉर्ड देखा जाए तो मध्यप्रदेश रैगिंग के मामलों में लगातार देश में दूसरे या तीसरे स्थान पर बना हुआ है। बीते 5 साल का ट्रेंड यह बताता है कि मप्र में रैगिंग के केस लगातार बढ़ रहे हैं। यदि 10 साल का ट्रेंड देखा जाए तो रैगिंग की घटनाओं की संख्या मौजूदा दशक में तीन गुना बढ़ गई है।

इस संबंध में फाइल आ गई है। संबंधित अधिकारी इसका परीक्षण कर रहे हैं। मानसून सत्र के पहले कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को लाया जाएगा। इसकी मंजूरी मिलने के बाद इसे सत्र में विधेयक को पेश किया जाएगा।

पीसी शर्मा, विधि मंत्री , मप्र

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