कोट्टयम ! राजीव गांधी के हत्यारों को मृत्युदंड सुनाने वाली अदालत की एक पीठ के अध्यक्ष के.टी. थॉमस ने रविवार को कहा कि इस मामले के चार दोषियों को फांसी नहीं दी जानी चाहिए।
थॉमस ने कहा कि दोषी मुरुगन, संथन और पेरारिवलन जेल में 22 वर्ष बिता चुके हैं, इसलिए उन्हें फांसी देने का मतलब होगा एक ही अपराध के लिए दो बार सजा देना। तीनों कैदी तमिलनाडु के वेल्लोर जेल में कैद हैं। थॉमस ने यहां पत्रकारों से कहा, जेल में 22 वर्ष बिताने के बाद यदि दोषियों को मौत की सजा दी जाती है, तो यह एक तरह से एक ही अपराध के लिए दो बार सजा देने के बराबर होगा। यह संविधान के विरुध्द है। उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से इन दोषियों की दया याचिका रद्द करने के निर्णय पर फिर से विचार करने की गुहार लगाई। थॉमस ने कहा, राष्ट्रपति को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि तीनों आजीवन कारावास की सजा से अधिक दिन सजा भुगत चुके हैं।