उफा (रूस) ! भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ आतंकवाद के सफाये के लिए सहयोग तथा 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकवादी हमले से संबंधित मामले की सुनवाई में तेजी लाने पर शुक्रवार को सहमत हो गए। मोदी और नवाज की द्विपक्षीय वार्ता यहां ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर हुई, जिसने भारतीय सामरिक विशेषज्ञों से प्रशंसा तो बटोरी, लेकिन विपक्ष के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी शिवसेना ने बैठक की तीखी आलोचना की।
गुरुवार को यहां पहुंचे मोदी तथा शरीफ दोनों रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन द्वारा दिए गए रात्रिभोज में अनौपचारिक तौर पर मिले। दोनों नेताओं ने शुक्रवार को होने वाली वार्ता को लेकर बातचीत की।
मोदी और नवाज की द्विपक्षीय बातचीत के बाद भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी ने एक संयुक्त बयान में कहा कि दोनों नेताओं की मुलाकात और बातचीत अच्छे माहौल में हुई। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय और क्षेत्रीय हित के मुद्दों पर चर्चा की।
दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक बुलाने तथा आतंकवाद को मिटाने के लिए एक-दूसरे का सहयोग करने पर भी सहमति बनी।
पाकिस्तानी विदेश सचिव चौधरी ने कहा, “दोनों नेताओं ने इस पर सहमति जताई कि क्षेत्र में शांति एवं विकास सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भारत तथा पाकिस्तान दोनों की है और इसके लिए वे सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं।”
मोदी और नवाज ने आतंकवाद से संबंधित सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की नई दिल्ली में बैठक बुलाने सहित पांच कदमों पर सहमति जताई। इनमें भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) तथा उनके पाकिस्तानी समकक्ष पाकिस्तान रेंजर्स के बीच महानिदेशक स्तर की वार्ता और दोनों देशों के बीच सैन्य संचालन महानिदेशक स्तर की वार्ता पर भी सहमति बनी।
दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद मछुआरों को उनकी नौकाओं सहित 15 दिन के भीतर रिहा करने, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए व्यवस्था बनाने पर भी सहमति जताई। साथ ही मुंबई हमले से जुड़े मामले की सुनवाई में तेजी लाने पर दोनों पक्ष सहमत हुए, जिसमें हमलावरों की आवाज के नमूने जैसी अतिरिक्त सूचना मुहैया कराना भी शामिल है।
वार्ता के दौरान नवाज ने वर्ष 2016 में पाकिस्तान में प्रस्तावित दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मोदी को पाकिस्तान दौरे का न्योता दिया, जिसे मोदी ने स्वीकार कर लिया।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह मोदी के साथ बातचीत को लेकर खुश हैं, शरीफ ने हां में जवाब दिया।
वहीं दिल्ली में भाजपा ने इस बैठक को एक सफलता करार देते हुए कहा कि पहली बार पाकिस्तान ने आतंकवाद की हमारी परिभाषा को माना है।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की तरफ यह आगे बढ़ाया गया कदम है।
वहीं कांग्रेस ने इस बैठक पर सवाल उठाया।
कांग्रेस नेता मीम अफजल ने संवाददाताओं से कहा, “पाकिस्तान ने संघर्ष विराम (नियंत्रण रेखा पर) के दौरान एक भारतीय सैनिक की हत्या कर दी और प्रधानमंत्री मोदी अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज से मुलाकात कर रहे हैं। यह वही सरकार है, जिसने पाकिस्तान को सबक सिखाने के बड़े-बड़े दावे किए हैं।”
उन्होंने कहा, “आज (शुक्रवार) प्रधानमंत्री ने बिना किसी कारण के नवाज शरीफ से मुलाकात की। हम जानना चाहेंगे कि ऐसे क्या हालात थे कि मोदी को नवाज को बातचीत के लिए आमंत्रित करना पड़ा।”
वहीं शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा, “मोदी जी का नवाज से मिलना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हालात (सीमा पर) में कोई परिवर्तन नहीं आया है।”
भारत के पूर्व विदेश सचिव ललित मानसिंह ने आईएएनएस से कहा, “कुल मिलाकर यह सकारात्मक विकास है।”
उन्होंने कहा कि वार्ता ठोस नहीं रही। यह वास्तव में कोई वार्ता नहीं थी, बल्कि वार्ता पर एक चर्चा थी।