नई दिल्ली: चीन पर नजर रखते रखते हुए भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। फारस की खाड़ी से लेकर मलक्का स्ट्रेट तक अब नौसेना के युद्धपोत दिन-रात गश्ती करेंगे ताकि पारंपरिक खतरों की तरफ से किसी भी तरह की घटना की आशंका और समुद्री आतंकवाद, लूट की घटनाओं से निपटने के साथ ही मानवीय आपदा राहत का काम भी किया जा सके।
नेवी फिलहाल पीएम मोदी के विजन ‘सागर’ (सिक्यॉरिटी ऐंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन) के तहत अन्य देशों के साथ क्षेत्र की सुरक्षा और क्षमता बढ़ाने पर काम कर रही है। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अंडमान निकोबार द्वीप समूह में धीरे-धीरे मिलिटरी इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किए जाने के अतिरिक्त भारतीय नौसेना अन्य देशों की नौसेनाओं के साथ मिलकर इस काम को सरल बनाने का प्रयास कर रही है।
मौजूदा समय में 12 से 15 विध्वंसक, युद्धपोत और बड़े गश्ती जहाज हिंद महासागर में तैनात हैं। इनको रुकमणि (GSAT-7) सैटलाइट की मदद भी मिलती है। एक वरिष्ठ ऑफिसर के मुताबिक, ‘फारस की खाड़ी से लेकर मलक्का स्ट्रेट तक मिशन के लिए तैयार युद्धपोत और विमान तैनात करने की योजना है। यह चौबीस घंटे तैनात रहेंगे।’ ‘मिशन के लिए तैयार युद्धपोत’ और संचार के महत्वपूर्ण साधनों को तैनात किया जाना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘यह पूरे साल लगातार काम करेगा, साथ ही युद्धपोतों को स्टेशनों पर बदल दिया जाएगा।
भारतीय नौसेना यहां सीधी सुरक्षा में लगा है और क्षेत्र में पहली प्रतिक्रिया देने वाली पहली फौज होगी।’भारतीय नौसेना के पास फिलहाल 138 युद्धपोत और 235 एयरक्राफ्ट और हैलीकॉप्टर हैं। योजना है कि 2027 तक भारतीय नौसेना के पास 212 युद्धपोत हों और 450 से ज्यादा एयरक्राफ्ट और हैलीकॉप्टर हों। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि चार दिन की नवल कमांडर्स कॉन्फ्रेंस मंगलवार को पूरी हुई। इस कॉन्फ्रैंस में एडमिरल सुनील लांबा भी थे। कॉन्फ्रैंस में इस पूरी योजना की समीक्षा भी की गई ताकि इसके प्रभाव को और बढ़ाया जा सके।