भोपाल। मैदानी अनुभव और अनुभवी व्यक्तियों से हमें बेहतर कार्य करने में आवश्यक मदद मिलती हैं। विद्यार्थी जीवन में पुस्तकीय ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी प्राप्त करना आवश्यक है। व्यवहारिक ज्ञान हमें आसपास के परिवेश के अवलोकन, मित्रों, समुदाय और परिवार के मध्य संवाद से परोक्ष रूप से प्राप्त होता है। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा श्रीमती रश्मि अरुण शमी ने विभाग की सहयोगी संस्था “पिरामल फाउंडेशन” के मैदानी कार्यकर्ताओं (गाँधी फेलोज) की कार्यशाला में यह बात कही।
प्रमुख सचिव श्रीमती शमी ने कहा कि स्कूली जीवन में पढ़ाई के साथ खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों का समावेश विद्यार्थी के सर्वागींण विकास में सहायक होता है। स्कूल की विभिन्न गतिविधियाँ जीवन में अनुशासन, एकाग्रता, टीम भावना का तो विकास होता ही है साथ ही यह हार कर जीत के लिए लड़ना भी सिखाते हैं।
प्रमुख सचिव श्रीमती शमी ने मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग के साथ कार्यरत पीरामल फाउंडेशन के गॉंधी फेलोज़ द्वारा किये गये कार्यों की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इसमें बैच-14 के गांधी फैलोज़ द्वारा मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में किये गए उल्लेखनीय कार्यों को रचनात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया। इस दौरान श्रीमती शमी ने उपस्थित युवाओं के प्रश्नों और जिज्ञासाओं का समाधान भी किया। उन्होंने कहा कि आज यह देख कर सुखद अनुभूति हो रही है कि बड़ी संख्या में युवा सिर्फ पैसा कमाने नही वरन् देश के लिए भी कार्य करने की भावना से आगे आ रहे हैं। पीरामल फाउंडेशन फॉर एजुकेशन लीडरशिप के वरिष्ठ कार्यक्रम निदेशक श्री संजय घटक भी उपस्थित रहे।
गांधी फैलोशिप, पीरामल फाउन्डेशन का एक अभिनव कार्यक्रम है और स्व-प्रेरित भारतीय युवाओं के लिए एक ऐसा मंच है जो अपने भीतर नेतृत्व खोज और निर्माण कर एक सशक्त भारत के निर्माण का स्वप्न देखता है। गांधी फेलो “स्वयं निर्माण से राष्ट्र निर्माण करें” के हमारे आदर्श वाक्य के अनुसार विभिन्न आयामों में कार्यरत हैं। शोधार्थी दो वर्षीय युवा नेतृत्व विकास कार्यक्रम के तहत मध्यप्रदेश में जिला और ब्लॉक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) में निर्धारित ढाँचे के भीतर शिक्षक क्षमता विकास, नेतृत्व विकास, विधि प्रबंधन, प्रक्रिया सुधार और शासन सुदृढ़ीकरण पर काम कर रहे हैं।