भोपाल। मध्यप्रदेश में मिशन 2013 के तहत मैदानी तैयारियों को परखने आए कांग्रेस के राष्टï्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दो टूक शब्दों में कहा कि साढ़े सात करोड़ लोगों का फैसला अब छह नेता नहीं करेंगे। प्रदेश के छह नेता (दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सत्यव्रत चतुर्वेदी और अरुण यादव) राष्टï्रीय राजनीति में जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं। यदि प्रदेश में पार्टी की सरकार नहीं भी आई तो इनका कुछ नहीं बिगड़ेगा, जो बिगड़ेगा आप लोगों का बिगड़ेगा। इसलिए मैं आप लोगों को पॉवर देने आया हूं।
राजधानी के मानस भवन में लोकसभावार चर्चा करते हुए श्री गांधी ने जिला और ब्लाक अध्यक्षों से सीधा संवाद किया। सवाल जवाब के लहजे में हुई बातचीत में श्री गांधी ने साफ कहाकि दिग्विजय सिंह बड़े नेता हैं वे पार्टी में जिम्मेदार पद पर हैं, सुरेश पचौरी वरिष्ठï नेता हैं, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में मंत्री हैं तथा कांतिलाल भूरिया सांसद हैं, प्रदेश में यदि सरकार नहीं भी आती है तो उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा। आज एक होकर सरकार ले भी आए तो सरकार बनने के बाद झगड़ेंगे। मगर आप सब को पार्टी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाना है। उन्होंने कहाकि जिलाध्यक्ष और ब्लाक अध्यक्षों को जब तक पॉवर नहीं मिलेगा, कुछ नहीं बदलेगा। श्री गांधी ने कहाकि टिकट वितरण में अब ब्लाक अध्यक्ष को भी महत्व दिया जाएगा। कौन प्रत्याशी होगा, इसका निर्णय जिलाध्यक्ष और ब्लाक अध्यक्ष करेंगे। उन्होंने सभी से पूछा कि सरकार क्यों नहीं बन रही? आप लोग क्या करते हैं? सरकार कैसे बनेगी?
श्री गांधी ने मानस भवन में कहाकि पार्टी में गुटबाजी सिस्टम की देन है। मगर गुटबाजी कहां नहीं है। भाजपा में भी गुटबाजी है। मगर कार्यकर्ता और जमीन नेता कांग्रेस की जड़ हैं। इन्हें सबसे पहले मजबूत होना होगा।
सीहोर की रुकमणी रोहिला ने माफी मांगते हुए श्री गांधी से कहाकि प्रदेश के यह बड़े नेता आपकी भी नहीं चलने देंगे। आप लेाग महिलाओं से काम तो कराते हैं, लेकिन पद नहीं देते। टिकट भी यह नेता अपने चहेतों को बांट देते हैं। किसी नेता के प्रोग्राम में चले जाओ हम लोगों को धमकी देते हैँ।
केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया करीब 11.30 बजे मानस भवन पहुंचे। उनके आते ही नजारा बदल गया। उनके समर्थक भारी नारेबाजी करते हुए उन्हें अंदर तक छोडऩे गए। नारों से गुटबाजी भी साफ हो गई। विधायक गोविंद सिंह राजपूत, कृष्णा घाटगे आदि शामिल थे। यह नजारा देख दिग्विजय और पचौरी समर्थकों ने भी नारेबाजी शुरू कर दी।
लोकसभावार चर्चा में भोपाल का दूसरा नंबर था। अव्वल तो भोपाल के साथ होशंगाबाद और मंडला को भी जोड़ लिया गया। वहीं शहर और ग्रामीण के अधिकांश नेता चुप्पी साधकर बैठे रहे। भोपाल से केवल दो नेता बोले तो सीहोर और बैरसिया के दो नेताओं ने अपनी बात कही। श्री गांधी भी मंडला के लोगों से ही ज्यादा बात करते रहे। भोपाल से मोहम्मद सरवर ने जिताऊ नेता को ही टिकट देने की बात कही तो बैरसिया के ब्लाक अध्यक्ष जमील खान ने गुटबाजी दूर कर सभी नेताओं को एक करने पर जोर दिया। इसके लिए जिलाध्यक्ष पीसी शर्मा, अवनीश भार्गव विधायक आरिफ अकील सहित अधिकांश नेता शांत ही रहे। भोपाल से 56 नेताओं को कार्ड जारी किए गए थे।
सागर-दमोह की बैठक में श्री गांधी ने पूछा कि किसी के पास ड्रायविंग लायसेंस है। दमोह के जिलाध्यक्ष अरूण टंडन ने अपनी जेब से लायसेंस निकालकर दिखाया। इसे हाथ में लेते हुए श्री गांधी ने कहाकि यह लायसेंस इतना पॉवरफुल है कि प्रधानमंत्री भी आपको कार चलाने से नहीं रोक सकते। उन्होंने कहाकि जिलाध्यक्ष और ब्लाक अध्यक्ष का भी यही पॉवर होना चाहिए।
करीब चार घंटे चली बैठक में सांसद-विधायकों सहित वे तमाम नेता शांत ही बैठे रहे जो पूरे तामझाम से आए थे। श्री गांधी ने ऐसे लोगों से बात ही नहीं की। सीधे-साधे ही और सामान्य नेता ही उनकी नजर में रहे। उन्हीं को श्री गांधी ने बातचीत का मौका दिया और कई लोगों के कंघे पर हाथ भी रखा।