भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राजनीति के क्षेत्र में उनकी नई भूमिका को लेकर लगाए जा रहे कयासों पर एक तरह से विराम लगाते हुए आज कहा कि वे इसी राज्य में रहेंगे और अपना शेष जीवन यहीं बिताएंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने यहां प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में यह बात कही। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव और अनेक कांग्रेस पदाधिकारी भी मौजूद थे।
कमलनाथ ने कहा कि वे स्पष्ट करना चाहते हैं कि उनका शेष जीवन भी इसी प्रदेश में कटेगा और वे कहीं नहीं जा रहे हैं। उन्होंने प्रतिप्रश्न करते हुए कहा ‘क्या वे आराम करने लायक दिखते हैं।’ एक से अधिक पदों पर बने रहने संबंधी सवालों के जवाब में कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने कभी भी किसी भी पद के लिए आवेदन नहीं दिया था। केंद्रीय नेतृत्व ने जो भूमिका तय की, वह जिम्मेदारी निभायी और आगे की जिम्मेदारी भी केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा।
कमलनाथ ने ई टेंडर घोटाला, आयकर छापों के बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की रिपोर्ट संबंधी मामलों से जुड़े सवालों के जवाब में कहा कि वे इस पक्ष में हैं कि सभी मामलों की जांच होना चाहिए, लेकिन जांच राजनैतिक नहीं होकर निष्पक्ष हो। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने 15 माह के शासनकाल के दौरान बदले की भावना से जांच कराने का कार्य नहीं किया। उनकी प्राथमिकता प्रदेश की तस्वीर बदलने की रही और जांच के कार्य भी चलते रहे।
प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी के गठन संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस संबंध में उनकी प्रदेश के नेताओं के अलावा केंद्रीय नेताओं से चर्चा चल रही है। इस मुद्दे को लेकर अलग अलग मत भी आए हैं। फिर भी इस पर जल्दी ही निर्णय होने की संभावना उन्होंने जतायी।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आसपास एक माह से अधिक समय से जारी किसान आंदोलन और देश तथा मध्यप्रदेश के संदर्भ में किसानों तथा कृषि की दशा पर उन्होंने विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि अब प्रदेश कांग्रेस राज्य के किसानों को इन मुद्दों पर जागरुक करने के लिए अभियान चलाएगा। उन्होंने कुछ समय पहले लागू किए गए केंद्रीय कृषि कानूनों को ‘काले कानून’ बताते हुए कहा कि इनके बारे में राज्य (मध्यप्रदेश) के किसानों को जागरुक करने की आवश्यकता है और इसलिए ही प्रदेश कांग्रेस अभियान चलाएगा।