नई दिल्ली ! मध्यप्रदेश में भर्ती परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने इस्तीफे की मांग तथा उनके और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच मतभेदों की किसी भी चर्चा को खारिज कर दिया। इसके बजाय श्री चौहान ने कहा कि उन्हें घोटाले का पर्दाफाश करने का श्रेय दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, वे (कांग्रेस) मांग (इस्तीफे की मांग) करते हैं। कांग्रेस हम पर आरोप लगाती है कि शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी ने भर्तियां कीं। उनके पास इसका एक भी सबूत नहीं है।
श्री चौहान ने दिए एक साक्षात्कार में कहा, वे महसूस करते हैं कि जब तक वे मेरी छवि नहीं बिगाड़ लेंगे, वे सफल नहीं हो सकते। जनता के बीच मेरी मजबूत छवि उनके दर्द का कारण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा, व्यावसायिक परीक्षा मण्डल द्वारा 3,58,490 भर्तियां की गयी थीं। कथित अनियमितताएं 228 मामलों में पायी गयी। इस घोटाले का पर्दाफाश शिवराज सिंह चौहान ने किया था, कांग्रेस या मीडिया ने नहीं। उन्होंने कहा, आज हालत यह है कि एक पूर्व मंत्री और एक उप महानिरीक्षक (डीआईजी) सलाखों के पीछे हैं। मैंने केवल घोटाले का पर्दाफाश किया था लेकिन अभी भी मुझ पर इसका आरोप लगाया जा रहा है। उनके और मोदी के बीच मतभेद होने संबंधी सवालों पर चौहान ने कहा कि यह केवल अटकलबाजी है और इससे दोनों में से किसी पर कोई असर नहीं पड़ता और वे साथ मिलकर काम कर रहे हैं। चौहान ने कहा, न तो उन्हें (मोदी) कोई फर्क पड़ता है और न मुझे। लोग अटकलें लगाते रहते हैं। मतभेदों संबंधी सवाल पर अधिक जोर दिए जाने पर चौहान ने कहा, सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने 2013 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल किए जाने की बात को याद करते हुए कहा, मेरे संवाददाता सम्मेलन में, मैंने सबसे पहले राज्य में भाजपा को जिताने के लिए जनता का धन्यवाद किया था और उसके बाद मैंने कहा था कि अब हमारा लक्ष्य नरेन्द्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाना है। चौहान ने कहा कि राज्य में कांग्रेस के राज में भर्ती की कोई प्रक्रिया नहीं थी। उन्होंने कहा, कांग्रेस के शासन में पुलिस भर्तियां पुलिस अधीक्षकों द्वारा की जाती थीं। पटवारियों की नियुक्ति कलेक्टर करते थे। पैसे के बिना कुछ नहीं होता था।