भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें उपचुनावों में अपनी पराजय का पूर्वाभास हो गया है, इसलिए उन्होंने भूमिका बनाना प्रारंभ कर दिया है। चौहान ने यहां प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यालय में मीडिया से चर्चा में यह बात कही। चौहान से आज पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा उपचुनावों को लेकर जारी किए गए बयान के बारे में पूछा गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि उपचुनाव में भाजपा शानदार सफलता प्राप्त करेगी।
इसका पूर्वाभास कांग्रेस को हो गया है और उसके नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ बौखलाकर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने पहले से ही भूमिका बनाना शुरू कर दिया है। चौहान के मुताबिक एक और महत्वपूर्ण बात है कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह भाजपा पर जोड़तोड़ का आरोप लगाते हैं। लेकिन सच्चायी यह है कि भाजपा किसी के पास नहीं गयी। कांग्रेस के मित्र ही भाजपा में आए। चौहान ने कहा कि जब कमलनाथ कुछ कार्य करते हैं तो उसे ‘मैनेजमेंट’ कहा जाता है। हमारे (भाजपा के) विधायक को डरा धमकाकर, लोभ लालच दिया गया। वो कुछ भी करें, तो मैनेजमेंट और कोई अपने मन से भाजपा में आ जाए, तो गद्दारी तथा खरीदफरोख्त।
चौहान ने आरोप लगाते हुए कहा कि कमलनाथ आज भी भाजपा विधायकों को फोन कर रहे हैं। उनसे संपर्क का असफल प्रयास कर रहे हैं। यदि जोड़तोड और खरीदफरोख्त की राजनीति की है, तो कमलनाथ ने की है। वे मध्यप्रदेश की राजनीति में गंदगी लेकर आए हैं।
उन्होंने दोहराते हुए कहा कि कांग्रेस करे तो मैनेजमेंट और हमारे पास कोई मन से आ जाए तो वो खरीदफरोख्त। ‘गंदा खेल’ कमलनाथ ने शुरू किया है। भ्रष्टाचार का लोकव्यापीकरण किया है। चौहान ने कहा कि कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में राजनैतिक भ्रष्टाचार की शुरूआत की है और आज हम पर आरोप लगाते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कितनी ही कोशिश कर ले, भाजपा कार्यकर्ताओं और विधायकों को फोन कर ले। वे टस से मस नहीं होने वाले हैं।
हमारे कार्यकर्ता सिद्धांतों और विचारों के लिए कार्य करते हैं। राज्य में 28 विधानसभा उपचुनावों के लिए मतदान तीन नवंबर को हो चुका है और 10 नवंबर को नतीजे आने वाले हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरोप लगाते हुए कहा है कि मतदान के दौरान कुछ स्थानों पर हिंसा की घटनाएं हुयी हैं। इसके मद्देनजर कांग्रेस ने कुछ केंद्रों पर पुनर्मतदान की मांग की है, लेकिन निर्वाचन आयोग ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने और भी आरोप लगाए हैं।