भोपाल। आखिरकार मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने मीसाबंदियों को मिलने वाली पेंशन पर रोक लगा दी है। सरकार ने फिजूलखर्च रोकने के लिए ये कदम उठाया है। हालांकि सरकार की ओर से ये कहा गया है कि मीसा बंदी पेंशन योजना के तहत कई अपात्र लोगों को भी पेंशन मिल रही है, इसलिए पहले इसकी जांच होगी और उसके बाद ही योजना को लेकर फैसला लिया जाएगा। तब तक ये योजना बंद रहेगी।

गौरतलब है कि प्रदेश में जब भाजपा सरकार थी तब उसने मीसा बंदियों के लिए पेंशन योजना शुरू की थी। भाजपा सरकार ने इंदिरा गांधी के शासनकाल में आपातकाल के दौरान जेल में डाले गए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी व स्वयंसेवकों के लिए ये योजना शुरू की थी। लेकिन अब प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही इसे बंद करने की कवायद है। कुछ कांग्रेसी नेता खुलकर मीसाबंदियो की पेंशन योजना को फिजूल खर्च बता चुके हैं। उनके मुताबिक भाजपा सरकार ने अपने खास लोगों को उपकृत करने के लिए ये योजना शुरू की और इस पर सालाना 75 करोड़ रुपये खर्च हो रहे थे। कांग्रेस की मीडिया प्रभारी शोभा ओझा ने तो ये भी कहा कि भाजपा सरकार मीसा बंदियों को 25000 रुपए प्रति माह दे रही थी, जबकि स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन नहीं मिल रही। ये फिजूलखर्ची है और इसे बंद किया जाना चाहिए। ऐसे में कमलनाथ सरकार ने इसे रोक दिया है।

सरकार ने गत 28 दिसंबर को ही मीसा बंदी पेंशन योजना की जांच के आदेश दिए। सरकार के मुताबिक इस योजना के तहत कई अपात्र लोग भी लाभ उठा रहे हैं, ऐसे में इसकी जांच की जाएगी। सरकार ने बैंकों को भी मीसा बंदी के तहत पेंशन रोकने के निर्देश जारी किए हैं।

आपको बता दें कि मीसा बंदी पेंशन योजना के तहत 2000 से ज्यादा लोगों को 25 हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाती है। शिवराज सरकार ने साल 2008 में ये योजना शुरू की। 2008 में 3000 रुपए से शुरू होकर धीरे-धीरे 2017 में ये राशि बढ़ाकर 25 हजार रुपए कर दी गई।

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