प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सांसदों-विधायकों को जीत का मंत्र देते हुए नसीहत दी है कि वे गैर-जिम्मेदाराना बयानों से बचें। उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए जनता का समर्थन बढ़ा है इसलिए उनकी जवाबदेही भी बढ़ गई है। हमें समाज के पिछड़े वर्ग से सबसे ज्यादा समर्थन मिला है। नमो मोबाइल एप के जरिये पार्टी सांसदों, विधायकों और अन्य प्रतिनिधियों से बातचीत में उन्होंने कहा कि ओबीसी, दलित तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के सांसदों-विधायकों की संख्या भी सबसे ज्यादा है।
नमो एप के जरिये अपने सांसदों-विधायकों से रूबरू होते हुए मोदी ने कहा कि इस तरह के बयान पार्टी की छवि खराब करते हैं। मीडिया को ‘मसाला’ देना बंद करें। उन्होंने कहा कि विवादित बयानों को हवा देने के लिए मीडिया को दोष नहीं दिया जा सकता। वह अपना काम कर रहा है। हमारा दायित्व है कि हम हर मुद्दे पर बयानबाजी करने से बचें और टीवी के सामने खड़े होकर हर मुद्दे पर देश को नसीहत न दें। जिस मुद्दे पर जिन्हें बोलने की जिम्मेदारी है, वही बोलेंगे।

आजकल हमारे कार्यकर्ता मीडिया ऐसा कर रहा है, मीडिया वैसा कर रहा है, को लेकर खूब सारी बातें करते हैं। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि हम अपनी मीडिया को ‘मसाला’ (विवादित बयान) देकर गलतियां कर रहे हैं। हमारे बयानों से लगता है कि हम कोई समाजशास्त्री या विद्वान हो गए हैं जो हर समस्या की व्याख्या कर सकता है। जैसे ही कैमरामैन को देखते हैं, बयान देने के लिए आतुर हो जाते हैं। मीडिया हमारे बयानों के उसी हिस्से का इस्तेमाल करेगा, जो उसके मतलब का है। हमें खुद इससे बचना होगा।

हाल के दिनों में भाजपा नेताओं द्वारा गैर-जिम्मेदाराना बयान देने और दलित मुद्दों पर विपक्ष की बढ़ती आलोचना के संदर्भ में उन्होंने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि यदि हर कोई बयानबाजी करने लगेगा तो इससे देश की, पार्टी की और खुद की व्यक्तिगत छवि को नुकसान होगा। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा भाजपा के लिए जनता का समर्थन बढ़ा है इसलिए उनकी जवाबदेही भी बढ़ गई है। हमें समाज के पिछड़े वर्ग से सबसे ज्यादा समर्थन मिला है। नमो मोबाइल एप के जरिये पार्टी सांसदों, विधायकों और अन्य प्रतिनिधियों से बातचीत में उन्होंने कहा कि ओबीसी, दलित तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के सांसदों-विधायकों की संख्या भी सबसे ज्यादा है।

ग्रामीणों का मिल रहा जबरदस्त समर्थन
मोदी ने कहा कि पार्टी को ग्रामीण जनता का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है और इसकी ताजा मिसाल झारखंड के स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी की जीत है। लिहाजा सांसद और विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों की पांच में से चार समस्याओं का हल करने का संकल्प लें। उन्होंने 14 अप्रैल से 5 मई के बीच ग्राम स्वराज अभियान के लिए भी उन्हें कुछ निर्देश दिए।

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