भोपाल । दिवाली में मावा-मिठाई की मांग कई गुना बढ़ जाती है। लिहाजा खान-पान की चीजों में मिलावट की आशंका के मद्देनजर खाद्य एवं औषधि प्रशासन का अमला प्रदेश भर में इन चीजों के नमूने लेने में जुटा रहा, लेकिन इसका कोई खास फायदा नहीं होने वाला। रिपोर्ट आने तक ज्यादातर सामान तो लोगों पेट में जा (खप) चुका होगा।
जांच में देरी होने के आसार इसलिए हैं कि इस महीने दिवाली के पहले तक पूरे प्रदेश से 1700 नमूने राजधानी स्थित प्रदेश के एकमात्र फूड लैब में आए हैं। लेकिन, लैब की क्षमता इतने सैंपल जांचने की नहीं है। दूसरी बात यह कि लैब की बार-बार बिजली गुल होने से भी जांच में देरी हो रही है।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों से करीब 800 सैंपल हर महीने जांच के लिए राजधानी स्थित खाद्य एवं औषधि प्रशासन की लैब में भेजे जाते हैं। दिवाली के मद्देनजर सभी जिलों में अतिरिक्त सैंपल लिए गए, लिहाजा इस महीने के 17 दिन के नमूनों की संख्या 1700 तक पहुंच गई है। सूत्रों ने बताया कि करीब 15 दिन से ईदगाह हिल्स खाद्य एवं औषधि प्रशासन के ऑफिस की बिजली दिन में कई बार जा रही है। बिजली के वैकल्पिक इंतजाम भी नहीं हैं, इसलिए देरी हो रही है।
पोस्ट ऑफिस ने फिर खाद्य पदार्थों की जांच रिपोर्ट भेजने से किया मना
इतना ही नहीं जिन नमूनों की जांच हो चुकी है, उसका भी कोई मतलब नहीं निकल रहा है। वजह, जांच रिपोर्ट संबंधित जिलों तक नहीं पहुंच पा रही है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने डाक विभाग को सैंपल भेजने के पुराने बिल का भुगतान नहीं किया है, इसलिए तीन दिन पहले डाक विभाग ने रिपोर्ट भेजने की जगह लौटा दिया है। करीब महीने भर पहले भी यही स्थिति बनी थी। इसके बाद खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने डाक विभाग का भुगतान किया तो पोस्ट ऑफिस से रिपोर्ट भेजी जा सकी।
लैब की क्षमता 5 हजार, जांच हो रही 12 हजार नमूनों की
फूड लैब की क्षमता हर साल सिर्फ 5 हजार सैंपल जांचने की है। फूड इंस्पेक्टरों की संख्या बढ़ने से उन्हें हर महीने अनिवार्य तौर पर चार लीगल सैंपल लेने के नियम से हर महीने करीब 700 लीगल और उतने ही सर्विलांस (निगरानी के लिए) सैंपल जांच के लिए लैब में आ रहे हैं। इस तरह हर साल करीब 12 हजार नमूनों की जांच होती है, इसके बाद भी 2 से 3 हजार सर्विलांस नमूनों की उस साल जांच नहीं हो पाती। उनकी जांच अगले साल हो पाती है।
दिवाली में इस तरह की हो सकती है मिलावट
– लड्डू में खाने के कलर की जगह कुछ दुकानों में इंडस्ट्रियल कलर मिलाया जाता है। हाल ही में फूड लैब में हुई जांच में इसकी पुष्टि भी हो चुकी है।
– मावा की मांग ज्यादा होने पर उसमें आलू या फिर पॉम आइल मिलावट की शिकायतें आती हैं।
– दिवाली के दौरान बना सामान काफी पुराना हो सकता है।
पोस्ट ऑफिस से जांच रिपोर्ट भेजने में पहले कुछ दिक्कत आई थीं। अभी की जानकारी नहीं है। अकाउंटेंट को पूरे अधिकार दिए गए हैं। उन्हें डाक विभाग का नियमित भुगतान करने को कहा गया है। उमेश कुमार, ज्वाइंट कंट्रोलर (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन )