नई दिल्ली ! विदेशों में भारतीयों द्वारा जमा काले धन को वापस लाने के लिए प्रस्तावित विधेयक में माफी का प्रावधान भी दोषी व्यक्ति को विदेशों में जमा धन का 40 फीसदी हिस्सा ही वहां बनाए रखने की मंजूरी देगा, बशर्ते कि वह निर्धारित समय में संपत्ति की घोषणा कर दे। अघोषित विदेशी संपत्ति और संपत्ति के के लिए कर अनुपालन से संबंधित अध्याय में अनुच्छेद 60 में कहा गया है कि भारत के बाहर रखी गई अघोषित संपत्ति को अधिनियम के तहत घोषित करने पर उसपर 30 फीसदी कर लगाया जाएगा।
वहीं अनुच्छेद 61 में इस कर के 100 फीसदी जुर्माने का प्रावधान है, जिसके बाद घोषित संपत्ति पर कर व जुर्माना मिलाकर 60 फीसदी हो जाता है।
तथाकथित एमनेस्टी स्कीम, जिसे आधिकारिक तौर पर अघोषित विदेशी आय व संपत्ति (नया कर) विधेयक, 2015 नाम दिया गया है, में कई अन्य प्रावधान भी हैं। इस विधेयक को लोकसभा में 20 मार्च को पेश किया गया।
– एमनेस्टी, इस अधिनियम के प्रारंभ से लेकर एक विशेष अधिसूचित तिथि तक लागू होगी।
– समस्त कर व जुर्माना अधिसूचित तिथि के खत्म होने के पहले ही भुगतान करना होगा।
– एक बार घोषणा करने के बाद किसी अन्य घोषणा की अनुमति नहीं होगी।
– यदि बाद में कोई घोषणा की जाती है, तो वह अमान्य होगी।
– यदि निर्धारित समय के अंदर कर व जुर्माने का भुगतान नहीं किया गया, तो घोषणा कोई विचार नहीं किया जाएगा।
-यदि घोषित संपत्ति पर कर, जुर्माने का भुगतान कर दिया गया है तो उस वर्ष के दौरान उसपर दोबारा कर नहीं लगाया जाएगा।
– घोषित संपत्ति का फिर से आंकलन नहीं किया जा सकता।
– एक बार संपत्ति की घोषणा करने के बाद, अन्य मामलों में इसे साक्ष्य के तौर पर दिखाने की अनुमति होगी।
प्रस्तावित कानून के तहत कोई व्यक्ति जिसने एमनेस्टी (माफी) प्रावधान के लिए आवेदन नहीं किया है और उसे कर चोरी व विदेशों में काला धन रखने का दोषी ठहराया गया है, तो उसे अधिकतम 10 वर्षो का कठोर कारावास तथा छिपाई गई संपत्ति पर कर का 300 फीसदी जुर्माना देना होगा।