उज्जैन ! दुनिया की प्रमुख ज्योतिर्लिगों में से एक मध्य प्रदेश के उज्जैन की महाकालेश्वर ज्योतिर्लिग के क्षरण की आशंकाओं ने भगवान और भक्त के बीच की दूरी बढ़ने के आसार नजर आने लगे हैं। फिलहाल जिला प्रशासन पुरातत्व विभाग के जरिए शिवलिंग के क्षरण का परीक्षण कराने जा रहा है। बाबा महाकाल को कालों का काल कहा जाता है और उनकी ज्योतिर्लिग का अभिषेक विशेष महत्व रखता है। यही कारण है कि हर भक्त जल अर्पित करने के साथ महाकाल के ज्योतिर्लिग का पंचामृत से स्नान कराना चाहता है। महाकाल को चंदन, रोली आदि भी चढ़ाई जाती है। आशंका है कि महाकाल के अभिषेक के लिए उपयोग में लाई जाने वाली सामग्री में अशुद्धि के चलते ज्योतिर्लिग का क्षरण हो रहा है। कई लोग ज्योतिर्लिग पर सामग्री अर्पित किए जाने का विरोध करते आ रहे हैं। एक तरफ विरोध और दूसरी ओर ज्योतिर्लिग के क्षरण की बढ़ती आशंका के मद्देनजर महाकाल मंदिर समिति ने ज्योतिर्लिग की स्थिति का पुरातत्व विभाग के जरिए परीक्षण कराने का मन बनाया है।

उज्जैन के जिलाधिकारी और मंदिर समिति के अध्यक्ष बी.एम. शर्मा ने सोमवार को बताया कि ज्योतिर्लिग की स्थिति जानने के लिए पुरातत्व विभाग से अनुरोध किया गया है। विभाग की रिपोर्ट आने के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा।

महाकाल के इतिहास पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि 1740 के आसपास जीर्णोद्धार कराया गया था। वैसे महाकाल की ज्योतिर्लिग को स्वयंभू प्रतिमा माना जाता है।

पुरातत्व विभाग की परीक्षण रिपोर्ट अगर ज्योतिर्लिग के क्षरण की पुष्टि कर देती है तो भगवान और भक्त के बीच दूरी बढ़ना तय है, क्योंकि मंदिर समिति श्रद्धालुओं के शिवलिंग के पूजन पर रोक भी लगा सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *