भोपाल मध्य प्रदेश में एक तरफ बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं और अभियान चलाए जा रहे हैं। दूसरी तरफ प्रदेश में हर रोज 58 से ज्यादा बच्चों की मौत हो रही है। पिछले साल राज्य में कुल 21 हजार 404 बच्चों की मौत हुई थी। राज्य में हर रोज बच्चों की मौत के आंकड़े का खुलासा सरकार की ओर से विधानसभा में दी गई जानकारी से हुआ है।
कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार की ओर से स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बुधवार को बताया कि जनवरी 2012 से दिसंबर 2012 की अवधि में छह वर्ष से कम आयु के 20 हजार 86 और छह से 12 वर्ष तक की आयु के 1318 बच्चों की मौत हुई है। ये मौतें निमोनियाए दस्तरोगए बुखारए खसरा जैसे रोगों व अन्य कारणों से हुई हैं। रावत ने सरकार से जानना चाहा था कि राज्य में एक वर्ष की अवधि में खसराए डायरियाए मलरियाए अन्य बीमारी व कुपोषण से कितने बच्चों की मौत हुई है। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि निमोनिया से 1056 बच्चों की मौत हुई है। इसके अलावा खसरे से 43 बच्चों की मौत हुई है। उल्लेखनीय है कि खसरा से सबसे ज्यादा 10 बच्चों की मौत स्वास्थ्य मंत्री मिश्रा के विधानसभा क्षेत्र वाले दतिया जिले में हुई है। स्वास्थ्य मंत्री ने अपने जवाब मे कहा कि राज्य में एक वर्ष की अवधि में हुई 21 हजार 404 बच्चों में से 18 हजार 31 की मौत का कारण बीमारियों से इतर हैं। कांग्रेस का कहना है कि जिन बच्चों की मौत बुखार आदि से नहीं हुईए वे कुपोषण के शिकार हो सकते हैंए क्योंकि सरकार ने विधायक द्वारा पूछे जाने के बावजूद कुपोषण से हुई मौत का ब्यौरा नहीं दिया है। स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि बच्चों की मौत के आंकड़े को कम करने के लिए सरकार की ओर से 30 कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों के जरिए मां.बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के प्रयास किए जा रहे हैं। संस्थागत प्रसव और टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा हैए साथ ही ग्राम स्तर पर आरोग्य केंद्र की स्थापना की गई है। सरकार ने स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराने के साथ कुपोषण के लिए उठाए गए एहतियाती कदमों का भी जिक्र किया है। सरकार के मुताबिक गंभीर कुपोषण के प्रबंधन के लिए वर्तमान में बाल शक्ति योजना के तहत पोषण पुनर्वास केन्द्र चलाए जा रहे हैं।