भोपाल ! शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी विदिशा जिले के जिस स्कूल में पढ़े उसका नामकरण सत्यार्थी के नाम पर करने के साथ उन्हें जीवन-पर्यन्त राज्य अतिथि का दर्जा दिए जाने की घोषणा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की। मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित समारोह में बुधवार को चौहान ने सत्यार्थी को प्रदेश की जनता की ओर से सम्मानित किया। अपने सम्मान के प्रत्युत्तर में कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि दुनिया में शांति के लिए मानवीय करुणा के उदारीकरण की आवश्यकता है। आर्थिक वैश्वीकरण दुनिया को एक नहीं कर सकता।
सत्यार्थी ने पेशावर में बच्चों की हत्या को दुखद बताते हुए कहा कि जिन ताकतों ने यह बर्बरतापूर्ण काम किया है, जो बच्चों के हाथ में हथियार थमा रहे हैं और बचपन खत्म कर रहे हैं, वे लगातार कमजोर हो रहे हैं। उन्हें अपने अकेले होने का डर है इसलिए पेशावर जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं।
सत्यार्थी ने कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार ऐसे बच्चों की आवाज है जिनका बचपन छिन गया है। यह भारत और भारत के लोगों का सम्मान है। बच्चों का सम्मान है। सत्यार्थी ने कहा कि हर व्यक्ति में एक बच्चा जीवित है। वैश्वीकरण के तंत्र का बच्चे हिस्सा बनते हैं। यौवन की पूंजी तब प्रदर्शित होती है जब स्वामी विवेकानंद जैसा सपूत शिकागो में संबोधन देता है। नैतिकता को जन-आंदोलन बनाने की कोशिश जारी है। इसमें सभी के सहयोग की आवश्यकता है।
चौहान ने कहा कि सत्यार्थी को अपने बीच पाकर मन आनंदित है। सत्यार्थी ने भारत और मध्यप्रदेश सहित विदिशा और भोपाल का मान बढ़ाया है। बाल श्रम के खिलाफ जोरदार आवाज उठाकर वैश्विक जाग्रति की। भारत में ही नहीं विश्व के 144 देश के 83 हजार बच्चे सत्यार्थी के आंदोलन से अपना बचपन बचा पाए।
उन्होंने कहा कि देश के बाल श्रम के बारे में बना कानून और शिक्षा का अधिकार भी उनके प्रयत्नों का ही प्रतिफल है। इटली, जर्मनी, ब्रिटेन की संसद ने अपने यहां व्याख्यान के लिए उन्हें बुलाया और संयुक्त राष्ट्र जहां केवल राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्रियों को ही भाषण के लिये बुलाया जाता है, वहां सत्यार्थी का विशेष उद्बोधन हुआ।

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