भोपाल, 15 जुलाई। मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां आम आदमी को आनंदमय कैसे बनाया जाए, इसके लिए आनंद विभाग के गठन को राज्य मंत्रिपरिषद ने शुक्रवार को मंजूरी दे दी।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में आनंद विभाग को मंजूरी दिए जाने के साथ तय हुआ कि यह विभाग आनंद विषय पर एक ज्ञान संसाधन केंद्र के रूप में काम करेगा। इसके साथ ही आनंद विभाग के अंतर्गत राज्य आनंद संस्थान भी गठित होगा।
आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने इस विभाग के गठन के निर्णय के पहले संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ ही भूटान और अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय प्रबंध संस्थान द्वारा नागरिकों के आनंद की स्थिति के आकलन के लिए अपनाए गए पैमानों का पर्याप्त अध्ययन किया है।
विभाग की आगामी कार्ययोजना का जिक्र करते हुए बताया गया है कि नया बनने वाला आनंद विभाग आनंद एवं कुशलता को मापने के पैमानों की पहचान करेगा और उन्हें परिभाषित करेगा।
आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, यह विभाग राज्य में आनंद का प्रसार बढ़ाने की दिशा में विभिन्न विभागों के बीच समन्वय के लिए दिशा-निर्देश तैयार करेगा। इतना ही नहीं, आनंद की अवधारणा का नियोजन, नीति निर्धारण और क्रियान्वयन की प्रक्रिया को मुख्यधारा में लाने का काम भी यह विभाग करेगा।
यह विभाग आनंद की अनुभूति के लिए एक्शन-प्लान बनाएगा और गतिविधियों का निर्धारण भी होगा। निरंतर अंतराल पर मापदंडों पर राज्य के नागरिकों की मन:स्थिति का आकलन करेगा। आनंद की स्थिति पर सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार कर प्रकाशित भी करेगा। साथ ही आनंद के प्रसार के माध्यमों और उनके आकलन के मापदंडों में सुधार के लिए लगातार अनुसंधान किया जाएगा।
विभाग के प्रस्तावित सेट-अप में एक अध्यक्ष, एक मुख्य कार्यकारी, एक निदेशक-अनुसंधान, एक निदेशक-समन्वय, एक लेखाधिकारी, चार अनुसंधान सहायक, छह कनिष्ठ सहायक और पांच चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के पद शामिल किए गए हैं। इस पर कुल तीन करोड़ 60 लाख 80 हजार रुपये का बजट प्रस्तावित है।