भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मनरेगा को श्रमिकों के लिये अधिक उपयोगी बनाया जाना चाहिये। मनरेगा के माध्यम से श्रमिकों के हाथों में हुनर दिया जाय तो वे ज्यादा कमायेंगे। यह आम जनता के कल्याण के लिये बड़ा योगदान होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहाँ मनरेगा-उपलब्धियां, चुनौतियों और अवसर विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में उपस्थित केन्द्रीय योजना आयोग के सदस्य डॉ. मिहिर शाह ने मनरेगा क्रियान्वयन की तारीफ करते हुये कहा कि मध्यप्रदेश ने जो मानक तय किये हैं उनका पूरे देश में उल्लेख होता है।
श्री चौहान ने कहा कि मनरेगा गरीब मजदूरों के लिये वरदान है। इसके क्रियान्वयन में यदि कोई कठिनाई है तो उसे दूर करना चाहिये। योजना में समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं होना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिये मध्यप्रदेश में अल्ट्रा बैंकिंग इकाई और मोबाईल बैंकिंग की व्यवस्था की गई है। तकनीकी अमले की कमी और फण्ड की अवरूद्धता की भी समस्या है। इस योजना के माध्यम से ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल सकती है। उन्होंने कहा कि बजट प्रस्तुत करने का समय वर्षा ऋतु में होना चाहिये ताकि सितम्बर माह में राशि मिल जाये तथा सितम्बर से जून माह तक विकास कार्य किये जा सकें। मार्च माह में बजट प्रस्तुत होने से काम करने के दो-तीन माह हिसाब-किताब में निकल जाते है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि को मनरेगा से जोड़ने पर इसका लाभ बढ़ जायेगा। मनरेगा का लक्ष्य हो कि श्रमिक मजदूरी पर निर्भर नहीं रहें और आत्मनिर्भर बनें। जब देश में मनरेगा की जरूरत नहीं रहेगी यही इसकी सबसे बड़ी सफलता होगी। उन्होंने कहा कि केवल कुछ लोगों का विकास, विकास नहीं है यह समझना होगा। विकास का प्रकाश जब तक आम आदमी तक नहीं पहुंचे तब तक विकास बेमानी है। उन्होंने कहा विकास की गति धीमी नहीं होनी चाहिये। इसका लाभ आम लोगों तक पहुंचना चाहिये। मनरेगा लोगों को काम का अधिकार देती है। संसाधनों पर सबका अधिकार है। इनका उपयोग जरूरत के अनुसार ही करना चाहिये। मनरेगा का मध्यप्रदेश में सकारात्मक उपयोग किया गया है। झाबुआ, अलिराजपुर जैसे आदिवासी जिलों में गरीब आदिवासियों का जीवन स्तर कपिलधारा योजना में बने कुँओं से सुधरा है। प्रदेश में इस तरह के ढाई लाख कुँए बनाये गये हैं। जलाभिषेक अभियान के तहत प्रदेश में साढ़े सात लाख जल संरचनाएं बनायी गयी हैं, जिनसे जल स्तर बढ़ा है और पर्यावरण में सुधार हुआ है।
श्री चौहान ने कहा कि ग्राम सभाओं को और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है। इनकी भूमिका विकास में सकारात्मक और निर्णायक होना चाहिये। मध्यप्रदेश में सरकार के साथ समाज को जोड़ने के लिये आओ बनाये अपना मध्यप्रदेश जैसा अभियान चलाया गया है। मध्यप्रदेश में पंचायतों के माध्यम से योजना की जरूरतों को समझकर इनकी मांग पर योजनाएं बनायी गयी हैं। ग्रामीण कारीगरों को प्रशिक्षित करने की योजना बनायी गयी है, जिसमें उन्हें प्रशिक्षण के साथ रोजगार के लिये पूँजी उपलब्ध करायी जायेगी।
कार्यशाला में डॉ. मिहिर शाह ने कहा कि मनरेगा के क्रियान्यन में मध्यप्रदेश ने जो मानक तय किये हैं उनका उल्लेख पूरे देश में किया जाता है। मनरेगा को और अधिक सशक्त बनाने के लिये कार्यशाला का आयोजन किया गया है। मनरेगा के क्रियान्वयन को और बेहतर बनाने के लिये और सुझाव देने के लिये केन्द्र द्वारा उनकी अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि समिति ने सभी योजनाओं में फ्लेक्सि फण्ड का प्रस्ताव रखा है और राज्यों की मांग पर 30 नये कार्य मनरेगा में जोड़े हैं। मध्यप्रदेश में कृषि को मनरेगा से जोड़ने का सीधा लाभ हुआ है। इससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई है। मनरेगा में जोड़े जाने वाले नये कार्य ग्रामीण आजीविका जैसे गौ-पालन, मछली पालन और प्रकृति आधारित हैं। इनमें आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन के सुझाव ग्रामीण विकास मंत्रालय को दिये जा सकेंगे। मध्यप्रदेश में मनरेगा में अच्छा काम हुआ है, जहां-जहां पानी और उत्पादकता पर जोर दिया गया वहां श्रमिक किसान फिर से खेती करने लगा, यह बड़ी सफलता है। हम चाहते हैं कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुधरें और काम की मांग कम होती जाये। श्रमिकों को आसानी से मांग दर्ज कराने की सहूलियत मिलें। ग्राम पंचायतें सुदृढ़ हों और उनके पास तकनीकी विशेषज्ञता उपलब्ध हो। इसके लिये अब 10-15 ग्राम पंचायतों का संकुल बनाकर उन्हें तकनीकी विशेषज्ञ टीम उपलब्ध करायी जायेगी। श्रमिकों को समय से मजदूरी के भुगतान की व्यवस्था करनी होगी। पन्द्रह अगस्त की ग्राम सभा में भी पूरे वर्ष की कार्ययोजना प्रस्तुत करें ताकि श्रमिकों को कार्यों के बारे में पहले से जानकारी हो। बजट के संबंध में नई व्यवस्था बनायी जा रही है, जिसमें धनराशि खर्च होते ही वास्तविक समय में तुरंत ऑनलाइन बजट मिलेगा।
अपर मुख्य सचिव श्रीमती अरूणा शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश में मनरेगा के माध्यम से सिंचाई क्षमता बढ़ाने में अच्छा कार्य हुआ है। प्रदेश में वित्तीय समावेशन की बेहतर व्यवस्था बनायी गयी है। प्रदेश में पाँच किलोमीटर की परिधि में अल्ट्रा बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। अब तक 1275 अल्ट्रा बैंकिंग इकाई शुरू की गयी हैं और तीन हजार और खोली जा रही हैं। मध्यप्रदेश में मनरेगा से कर्वजेंस में देश में सबसे अच्छा कार्य हुआ है। इसमें मुख्यमंत्री सड़क योजना, कपिलधारा, पंचपरमेश्वर और निर्मल भारत अभियान में कार्य किया गया है। प्रदेश में मनरेगा में स्वीकृत कार्यों में से 65 प्रतिशत पूरे किये जा चुके हैं, जो राष्ट्रीय औसत 56 प्रतिशत से बेहतर है। उन्होंने कहा कि मनरेगा में भूमिहीन मजदूरों और लघु कृषकों के लिये अलग-अलग कार्ययोजना बनायी जाये। उन्होंने मनरेगा की चुनौतियों, अपेक्षाओं, क्रियान्वयन और कमियों पर प्रस्तुतिकरण दिया।
कार्यशाला में श्री प्रथमेश अम्बास्ता ने विषय से संबंधित प्रस्तुतिकरण दिया। आजीविका के लिये मनरेगा- उपलब्धियां और चुनौतियां विषय पर श्री अपूर्व झा ने प्रस्तुतिकरण दिया। कार्यशाला का आयोजन नेशनल कन्सर्टोरियम ऑफ सिविल सोसायटी आर्गेनाइजेशन ऑन मनरेगा, मध्यप्रदेश रोजगार गारंटी परिषद, रोजगार गारंटी पर जनसंगठनों का राष्ट्रीय समन्वय और आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।