नई दिल्ली: विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर हमला करते हुए बुधवार को कहा कि वह न तो अपनी पार्टी कांग्रेस के नेता हैं और न ही इस देश के नेता। केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार जहां अपने दूसरे कार्यकाल के चार वर्ष बीत जाने पर खुशियां मना रही है, वहीं लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने संवाददाताओं से कहा कि गठबंधन सरकार के लिए विशेष नेतृत्व की आवश्यकता होती है। मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री तो हैं, लेकिन नेता नहीं। वह न तो अपनी पार्टी के नेता हैं और न ही देश के।
सुषमा ने कहा कि संप्रग नेतृत्व बंटा हुआ है। मंत्रिमंडल में संप्रग के घटक प्रधानमंत्री के साथ बैठते हैं, लेकिन किसी भी समस्या के समाधान के लिए वे संप्रग अध्यक्ष (सोनिया गांधी) की ओर देखते हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी और सरकार, दोनों एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश करते हैं। सुषमा के अनुसार यह विभाजित नेतृत्व देश को अनिश्चितता की ओर ले जा रहा है, जो राजनीतिक विफलता है।
संप्रग को आर्थिक मोर्चे पर विफल करार देते हुए सुषमा ने कहा कि केंद्र में जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनी थी तो हमें विरासत में कमजोर अर्थव्यवस्था मिली थी। लेकिन हमने सरकार छोड़ा तो अर्थव्यव्स्था मजबूत हो गई थी।
भाजपा नेता ने कहा कि संप्रग-2 सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले में सभी सीमाओं को लांघ दिया है। संप्रग की पहली सरकार में इतना भ्रष्टाचार नहीं था। एक के बाद एक भ्रष्टाचार के नए मामले सामने आ रहे हैं।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने भी संप्रग की दूसरी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह अपने चार साल पूरे होने का जश्न नकारात्मक व निराशाभरे माहौल में मना रही है।
जेटली ने कहा कि संप्रग-2 अपनी उपलब्धियों के बारे में जो प्रचारित कर रहा है, उसे देश स्वीकार नहीं कर रहा। सभी जनमत संग्रहों के नतीजों से स्पष्ट है कि कांग्रेस तथा संप्रग की लोकप्रियता तेजी से गिर रही है। उन्होंने कहा कि इतिहास में प्रधानमंत्री का पद कभी इतना कमजोर नहीं रहा है।