भोपाल ! राज्य मानव अधिकार आयोग ने भोपाल रेंज के उप पुलिस महानिरीक्षक को कहा है, कि सभी स्कूल कॉलेजों के बाहर निर्भया अभियान व सादे कपड़ों में महिला पुलिस को लगाया जाये। प्रतिवर्ष स्कूल कॉलेज खुलते ही पुलिस पेट्रोलिंग के लिये महिला पुलिस की व्यवस्था हो।
आयोग ने निर्देश दिये हैं, कि यदि गुण्डे बदमाश लड़कियों को छेड़ते हैं , तो उनके विरुद्ध कड़ी प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। महिला पुलिस को भी छात्राओं के सम्पर्क में रहने के निर्देश दिये जाये। शिक्षण संस्थाओं के प्राचार्य से संबंधित क्षेत्र के थाना प्रभारी लगातार सम्पर्क में रहेंं , जिससे छेडख़ानी की सूचना पर संबंधित थानों में तत्काल कार्रवाई हो सके। आयोग में यह निर्देश नेशनल लॉ इन्सटीट्यूट यूनिवर्सिटी, भोपाल के विद्याथिर्योंं द्वारा इंटर्नशिप के दौरान प्रस्तुत प्रोजेक्ट रिपोर्ट में उल्लेखित तथ्यों और विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों के आधार पर दिये हैं। रिपोर्ट और समाचारों में कहा गया था, कि शहर में एक भी ऐसा सार्वजनिक स्थान नहीं है, जहां रोजाना छेड़छाड़ न होता हो। अश्लील इशारे करने वालों में सिर्फ युवा ही नहीं, बल्कि बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं। पुलिस के ÓÓसंवेदनशीलÓ न होने से मनचलों के हौसले बुलंद बने रहते हैं।
यह चौंकाने वाला सच कानून के विद्यार्थियों द्वारा किए गए सर्वें में सामने आया है। नेशनल लॉ इन्सटीट्यूट यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने मानव अधिकार आयोग में इंटर्नशिप के दौरान यह जानकारी जुटाई है। इसके तहत उन्होंने शहर के नामचीन कॉलेज की छात्राओं से चर्चा की है। एलएलएम के छात्र हिमांशु कश्यप ने अपनी टीम के साथ मैनिट, एक्सीलेंस कॉलेज, गांधी मेडिकल कॉलेज और नूतन कॉलेज की करीब 80 छात्राओं से अपनी तैयार प्रश्नावली में उनकी आपबीती दर्ज कराई है। इस टीम में कानून की छात्रा नेहा खुराना, ऋ तम्बरा दास, डॉली जोशी व मधुरिमा डी. सरकार भी शामिल हैं।
पूछताछ में छात्राओं ने बताया, कि छेड़छाड़ के वक्त वह आस-पास के लोगों से मदद नहीं मांगती। उनका मानना है ,कि अक्सर लोग मदद के लिए आगे नहीं आते। इसके अलावा वे इस तरह की घटनाओं का उल्लेख अपने माता-पिता से करने के बजाए दोस्तों से करती हैं। इस बात का डर रहता है, कि कहीं भयभीत होकर उनके अभिभावक उन्हें कॉलेज जाने से ही मना कर दें।
छात्राओं ने बताया, कि लोग अक्सर अजीब सी निगाहों से घूरते हैं। मुंह फेर लेने पर सीटी बजाना आम बात है। इसके अलावा कुछ लोग उन्हेंं देखकर गाना गुनगनाने लगते हैं। इसी तरह पीठ-पीछे फि करे कसना भी आम बात है। लेकिन चाह कर भी वे कुछ कर नहीं पाती हैं। अफ सोस इस बात की है, कि इस हरकत में युवाओं के साथ-साथ बुजुर्ग भी शामिल हैं। समाचार के अनुसार सर्वे टीम के लीडर हिमांशु कश्यप ने बताया, कि विद्यार्थी चाहते हैं, कि इस मामले में आयोग से शेयर कर पुलिस कोई ठोस कदम उठाए। भोपाल रेंज के उप पुलिस महानिरीक्षक डी श्रीनिवास वर्मा ने आयोग को बताया है, कि इंटर्नशिप करने वाले विधि छात्रों से उनकी मुलाकात हुई है। इसके बाद निर्भया मोबाईल सुविधा शुरू की गई है। लड़कियों के सभी स्कूल कॉलेज, पार्क और पिकनिक स्थानों पर समस्या समाधान के लिए पर्चे लगाये गये थे। इसके अलावा महिला हेल्प लाईन भोपाल के लिये 1091 और पूरे प्रदेश के लिये 1090 शुरू की गई है। इन पर लड़कियों को परेशान किए जाने की सूचना बिना नाम बताये दी जा सकती है। महिला पुलिस को सादे कपड़ों में उन स्थानों पर लगाया गया है , जहां छेड़छाड़ की घटनाएं अधिक होती हैं।

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