भोपाल। मध्यप्रदेश की ब्रांडिंग के लिए भाजपा सरकार द्वारा धूमधाम से शुरू किए गए आनंद एवं अप्रवासी भारतीय विभाग के भविष्य पर अब तलवार लटकने लगी है। इन दोनों विभागों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी विशेष दिलचस्पी के चलते खोला था। करीब दो साल में दोनों विभागों के खाते में कोई विशेष उपलब्धि दर्ज नहीं हुई।

विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में अब कांग्रेस की सरकार बन चुकी है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिलसिलेवार सभी विभागों के कामकाज की समीक्षा शुरू की है। अगस्त 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौहान ने प्रदेश में आनंद विभाग खोलकर देशभर में उसकी ब्रांडिंग की थी। विभाग से जुड़े राज्य आनंद संस्थान में करीब 20 अधिकारी-कर्मचारियों का स्टाफ है जबकि अप्रवासी भारतीय विभाग से स्टाफ के नाम पर एक-दो लिपिक संवर्ग के कर्मचारी ही संबद्ध हैं। नई सरकार बनने के बाद ये कर्मचारी विभाग के भविष्य को लेकर सशंकित हो उठे हैं।

नवगठित आनंद विभाग द्वारा प्रदेश का हैप्पीनेस इंडेक्स निकालने की कवायद शुरू की गई थी लेकिन अब तक यह काम हो नहीं पाया। इसके लिए आईआईटी खड़गपुर के विशेषज्ञों से करार भी किया गया है। विभाग की उपलब्धियां जमीन पर नजर नहीं आ रहीं। भोपाल सहित जिलों में शुरू किया गया ‘नेकी की दीवार” का प्रयोग साल भर में ही ध्वस्त हो चुका है।

इसी तरह अप्रैल 2017 में शिवराज सरकार ने नया प्रयोग करते हुए प्रदेश में अप्रवासी भारतीय विभाग का भी गठन किया था। विभाग के मुखिया की कमान तब प्रमुख सचिव एसके मिश्रा को सौंपी गई थी। स्टाफ के नाम पर महज एक-दो लिपिक संवर्ग के कर्मचारियों को ही विभाग से संबद्ध किया गया था, लेकिन यहां भी उपलब्धियों के नाम पर कुछ हासिल नहीं हुआ। इसलिए इन दोनों ही विभागों के भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।

बताया जाता है कि नई सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जन अभियान परिषद का स्वरूप भी बदलने के संकेत दिए हैं। चुनाव के दौरान कांग्रेस ने परिषद के कामकाज और फर्जीवाड़ा के संदर्भ में दस्तावेज भी प्रस्तुत किए थे। कांग्रेस ने प्रदेश में नर्मदा नदी से जुड़े कामकाज के संदर्भ में नर्मदा आयोग के गठन करने का भी एलान किया है।

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