भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनिंदा फसलों पर भावांतर दिया जाएगा। सोयाबीन और मक्का की खरीदी 20 अक्टूबर से मंडियों में होगी। इसमें भावांतर मिलेगा। इस बार भावांतर में फ्लेट रेट यानी एक तय रकम ही मिलेगी। यह कम या बढ़ेगी नहीं। इसके दायरे में लगभग 18 लाख किसान आएंगे और इनसे करीब 50 लाख टन उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के आर्थिक हालातों को देखते हुए इस बार भावांतर देने को लेकर संशय की स्थिति थी पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ कर दिया कि चुनिंदा फसलों में इसे लागू किया जाएगा। खरीफ फसलों की बिक्री के लिए जिन किसानों ने पंजीयन कराया है, उनमें सर्वाधिक 14 लाख किसान सोयाबीन और पौने चार लाख से ज्यादा मक्का के ही हैं।
पंजीयन में दर्ज कराए गए रकबे के हिसाब से औसत उत्पादन को देखकर कृषि विभाग का अनुमान है कि 34 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन और 13 लाख टन मक्का की आवक हो सकती है। इस उपज पर भावांतर फ्लेट रेट से दिया जाएगा। इसमें करीब दो हजार करोड़ रुपए खर्च हो सकते हैं। वहीं, मूंग, उड़द और तुअर की न्यूनतम मूल्य पर खरीदी केंद्र सरकार की संस्था नाफेड करेगी।
धान, ज्वार और बाजारा भारतीय खाद्य निगम के मार्फत खरीदी जाएगी। मूंगफली, तिल और रामतिल के लिए एजेंसी तय होना बाकी है। बताया जा रहा है कि रामतिल के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक ही रहते हैं, इसलिए इस फसल को लेकर कोई झंझट नहीं है। मूंगफली लगभग पांच लाख हेक्टेयर में बोई गई है और दस लाख टन उत्पादन होने की संभावना है। पौने दो लाख कपास उत्पादक किसानों ने बिक्री के लिए पंजीयन कराया है। कपास की खरीदी भारतीय कपास निगम आठ जिलों में अक्टूबर अंत से करेगा।
11 लाख किसानों को मिला भावांतर का फायदा
खरीफ 2017 में सरकार ने भावांतर योजना लागू की। अकेले खरीफ फसलों के लिए 21.88 लाख किसानों ने पंजीयन कराया। 25 लाख मीट्रिक टन दलहन और तिलहन फसलों पर भावांतर दिया गया। इसमें करीब 11 लाख किसानों के खाते में डेढ़ हजार करोड़ रुपए सीधे जमा कराए गए। इसके बाद गेहूं, धान, चना, मूंग, सरसों, प्याज और लहसुन पर प्रोत्साहन राशि दी गई। केंद्र सरकार द्वारा भावांतर योजना का प्रावधान करने राज्यों को इसे लागू करने का अधिकार देने के बाद मध्यप्रदेश में योजना को फिर से लागू किया जा रहा है।
30 हजार टन मूंग, उड़द गोदामों में रखी
सूत्रों का कहना है कि पिछले साल सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए गर्मी की मंूग और उड़द खरीद तो ली पर ये आज भी गोदामों में रखी हुई है। बताया जा रहा है कि 30 हजार मीट्रिक टन दोनों उपज को ठिकाने लगाने के लिए दो-तीन बार नीलामी के प्रयास भी हुए पर लागत से कम भाव लगाए गए, जिसकी वजह से कोई निर्णय नहीं हो सका।
इस बार फ्लेट रेट मिलेगा: डॉ. राजौरा
प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि सोयाबीन और मक्का पर भावांतर देना तय हुआ है। इस बार भावांतर में फ्लेट रेट दिया जाएगा। खरीदी के दौरान किसी को पता नहीं होगा कि भावांतर क्या रहेगा। इससे खरीदी प्रभावित होने की शंका भी नहीं रहेगी। खरीदी प्रक्रिया समाप्त होने के बाद भावांतर घोषित होगा।