ग्वालियर। केंद्र सरकार से मिली चेतावनी के बाद मध्य प्रदेश में कोरोना से बचाने के लिए वॉल्व रेस्पिरेटर एन-95 मास्क के उपयोग पर रोक लगा दी गई है। मप्र स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज डीन, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी व सिविल सर्जन को रेस्पिरेटर एन-95 मास्क का उपयोग नही किए जाने के निर्देश जारी किए है। दरअसल एक सप्ताह पहले केंद्र ने चेतावनी देते हुए कहा था कि रेस्पिरेटर के साथ आने वाले एन-95 मास्क सुरक्षित नहीं बल्कि हानिकारक है। यह मास्क वायरस को बाहर निकलने से नहीं रोकते हैं। इसलिए कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए ये मास्क सही नहीं हैं। लिहाजा केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को रेस्पिरेटर एन-95 मास्क के उपयोग रोकने के लिए कहा था।  एन-95 मास्क का उपयोग न करते हुए इसकी जगह होम मेड यानी घर पर बने सुरक्षात्मक कवर के उपयोग की सलाह दी गई है।

एन-95 मास्क में वाल्वस प्रेजेंट होते हैं जो हवा की फिल्ट्रेशन के लिए जिम्मेदार होते हैं। हम जो हवा सांस लेने के लिए इस्तेमाल करते हैं वो तो एन-95 का मास्क फिल्टर कर देता है पर जो हवा हम सांस लेने के बाद छोड़ते हैं एन-95 मास्क वो फिल्टर नहीं करता और सीधे हवा में फैल जाता है। इसलिए यह माना जा रहा है कि एन-95 मास्क के इस्तेमाल से कोरोना वायरस के जर्म्स बाहर आने की वजह से वायरस बढ़ता ही रहेगा। वायरस को रोकने में असफल यह मास्क हानिकारक है।

एन- 95  मास्क का इस्तेमाल आजकल लोग कोरोना वायरस से बचाव के लिए कर रहे हैं। एन-95 मास्क एक डिस्पोजेबल मास्क की तरह हैं जो रेस्पिरेटरी प्रोटेक्शन देता है और 95 % तक हवा को फिल्टर करता है। एन-95 रेस्पिरेटरी और सर्जिकल मास्क पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट हैं जो पहनने वाले को हवा में प्रेजेंट सारे वायरस और इन्फेक्शन से बचाने और फेस को इन्फेक्ट करने वाले लिक्विड से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं।

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