भोपाल | कांग्रेस पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले का सरगना करार दिया। पार्टी ने कहा कि राज्य में शिव नहीं ‘शव-राज’ है। सरकार ने भी कांग्रेस पर पलटवार करते हुए उस पर आरोप लगाया कि वह शवों पर राजनीति कर रही है। कांग्रेस ने व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षाओं में हुई गड़बड़ियों और उससे जुड़े लोगों की लगातार हो रही मौतों के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जिम्मेदार ठहराया।
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अरुण यादव ने सोमवार को प्रेस वार्ता में कहा, “व्यापमं घोटाले में मुख्यमंत्री चौहान और उनका परिवार लिप्त है।” उन्होंने कहा कि इस समय घोटाले की जांच उच्च न्यायालय के निर्देश पर गठित एसआईटी की देखरेख में एसटीएफ कर रही है और कांग्रेस को इस जांच पर भरोसा नहीं है। यह जांच पूरी तरह सरकार के इशारे पर हो रही है।
अरुण यादव ने कहा, “व्यापमं घोटाला महाघोटाला बन चुका है, इस मामले की जांच सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) या किसी स्वतंत्र एजेंसी के जरिए कराई जाना चाहिए।”
कांग्रेस नेता ने कहा, “मुख्यमंत्री लगातार अपने को पाक साफ बताते हैं, अगर ऐसा है तो उन्हें स्वयं सीबीआई जांच के लिए पत्र लिखना चाहिए। यह एशिया का सबसे बड़ा मामला है, इस मामले में अब तक 48 मौतें हो चुकी है और कई अन्य को अपनी जान का खतरा बना हुआ है। मुख्यमंत्री चौहान तो मौत के सौदागर बन गए हैं।”
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री चौहान ने अपने प्रशिक्षण की शुरुआत डंपर घोटाले से की थी और पीएचडी व्यापमं घोटाले से की है, उनका गाइड कोई और नहीं घर का मुखिया है। वे डंपर टू बंपर महाघोटाला व्यापमं के मुखिया हैं। चौहान हमेशा कहते हैं कि उनके परिवार का इससे कोई नाता नहीं है, जबकि इसकी शुरुआत उनके आवास से ही होती है।”कांग्रेस के इन आरोपों को सरकार के दो मंत्रियों, नरोत्तम मिश्र और गौरीशंकर शेजवार ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस शवों पर राजनीति कर रही है। जहां तक मौतों का सवाल है, व्यापमं से जुड़े 25 लोगों की मौत हुई है, यह मौतें सामान्य है। मौत का कारण व्यापमं नहीं है।”
ज्ञात हो कि राज्य में इंजीनियरिंग कालेज, मेडिकल कॉलेज में दाखिले से लेकर विभिन्न विभाग की भर्तियों की परीक्षा व्यापमं आयोजित करता है। इन दाखिलों और भर्तियों में हुई गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद जुलाई 2013 में पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
इस मामले में पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा से लेकर व्यापमं के पूर्व नियंत्रक पंकज त्रिवेदी सहित वरिष्ठ अधिकारी व राजनीतिक दलों से जुड़े लोग जेल में हैं। राज्यपाल रामनरेश यादव पर भी सिफारिश करने का प्रकरण दर्ज है।