भोपाल ! स्कूलों में बच्चों को दिया जाने वाला भोजन गुणवत्तापूर्ण हो पर्याप्त एवं रुचिकर हो यह सुनिश्चित करने के निर्देश मध्यान्ह भोजन व्यवस्था से संलग्न संबंधित विभाग एवं अधिकारियों को बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा चतुर्वेदी ने दिये है। श्रीमती चतुर्वेदी आज यहां आयोग में आये प्रकरणों की सुनवाई कर रही थीं। आयोग को जबलपुर, भोपाल एवं इंदौर के स्कूलों में नंदी फाउण्डेशन द्वारा वितरित किये जाने वाले मध्यान्ह भोजन में कड़क रोटी एवं अन्य प्रकार की शिकायतें प्राप्त हुई थीं। आज की बैठक में आयोग के सदस्य विजया शुक्ला, डॉ. आर.एच. लता, रीना गुजराल और डॉ. विभांशु जोशी उपस्थित थे। आयोग ने आज 8 प्रकरण की सुनवाई की। जिसे आयोग ने अखबार में प्रकाशित खबरों से आयोग ने संज्ञान में लिया था।
बिहार की ताजा घटना के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार मध्यान्ह भोजन को लेकर सचेत हो गई है। पिछले एक साल से मध्यान्ह भोजन से संबंधित विचाराधीन प्रकरणों की सुनवाई राय बाल आयोग में बुधवार को हुई। इंदौर जिले के एक प्रकरण में नंदी फाउंडेशन ने कहा, कि शासन की ओर से उन्हें लाल गेहूं प्राप्त हुआ था, इसलिए उनके द्वारा बच्चों को मध्यान्ह भोजन में लाल गेहूं की रोटी परोसा गया। आयोग ने कहा, कि उन्हें कच्चा माल कहां से मिल रहा है, इससे आयोग का कोई सरोकार नहीं है। आयोग का ध्यान सिर्फ मध्यान्ह भोजन और पानी की गुणवत्ता पर है। सुनवाई के दौरान सिरोंच के सोना ग्राम में जनवरी 2013 मध्यान्ह भोजन से बच्चों की बीमारी का प्रकरण आया। जिसमें सिंरोज विकास खण्ड के सोनाग्राम में स्थित प्राथमिक शाला के करीब 20 बच्चे 16 जनवरी, 13 को मध्यान्ह भोजन के बाद गंभीर रूप से बीमार पड़े थे और इन बच्चों को त्वरित उपचार के लिए भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तीन दिनों तक उपचार के बाद इन बच्चों की घर वापसी हुई थी। आयोग के सामने जिला पंचायत के प्रोजेक्ट अफिसर एमपी राव, जिला क्वालिटी मॉनिटर डा. योति दुबे और जिला टास्क मैनेजर कीर्ति चौहान ने उपस्थित होकर यह जानकारी दी, कि फोरेन्सिक रिपोर्ट के मुताबिक कच्चा एवं पके हुए भोजन में किसी प्रकार का रसायनिक विषाक्त नहीं था। आयोग ने कहा, कि इस संबंध में पानी की गुणवत्ता की भी जांच की जानी चाहिए ।
आयोग ने सिवनी जिले में मध्यान्ह भोजन में बच्चों के खाने में छिपकली मिलने की शिकायत को भी गंभीरता से लिया और उपस्थित जनपद पंचायत के अधिकारी तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास से वस्तु.स्थिति की जानकारी ली। इसी प्रकार की शिकायत पर आयोग की अध्यक्ष ने शाजापुर के अधिकारियों को 5 अगस्त और विदिशा के अधिकारियों को तीन दिन में व्यवस्था परिवर्तन तथा सुधार के निर्देश दिये।
श्रीमती चतुर्वेदी ने भोपाल, इंदौर के नगर निगम अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी एवं नंदी फाउण्डेशन के स्थानीय व्यवस्थापकों को निर्देश दिये, कि वे निर्धारित मेन्यू के अनुसार बच्चों को मध्यान्ह भोजन उपलब्ध करवायें। उन्होंने कहा, कि आयोग मेन्यू में परिवर्तन नहीं करवा सकता यदि संबंधित की ओर से प्रस्ताव प्राप्त होता है तो सप्ताह में दो दिन मिलने वाली रोटी के स्थान पर अन्य रुचिकर भोजन बच्चों को उपलब्ध करवाने के लिये प्रशासन और संबंधित को लिखा जायेगा। कुल 8 प्रकरणों में से जबलपुर नंदी फाउन्डेशन की ओर से कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हुआ।

 

 

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