उज्जैन घर के केंद्र में स्त्री होती है। समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। मध्यप्रदेश सरकार महिलाओं के प्रति संवेदनशील है। अंतर्राष्ट्रीय विचार महाकुंभ के ”शक्ति कुंभ” में वक्ताओं ने यह विचार व्यक्त किये।
श्री भरत गुप्त ने कहा कि स्त्री प्रकृति, कर्म, सोच एवं नैसर्गिक रूप में पुरुष से अधिक सक्षम होती है। स्त्री शक्ति रूप में अपने बच्चों को असुरक्षा की भावना से मुक्ति दिलाती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिये।
श्रीमती इंदू पांडे ने कहा कि महिलाओं के सतत विकास का लक्ष्य निर्धारित हो। विचार की जगह व्यवहार कुंभ होना चाहिए। आदिवासी महिलाओं के विकास के लिए मध्यप्रदेश में किये गये कार्य सराहनीय है। हर विकास कार्य में जेंडर को प्राथमिकता मिलना चाहिये।
सुश्री मीरा शिवा ने कहा कि महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना होगा। सशक्तिकरण के पहले अशक्तिकरण बंद हो। कानून की जानकारी भी महिलाओं को दी जाये। श्रीमती इंदू राव ने महिलाओं एवं बच्चों के विकास पर सात बिन्दु का एजेन्डा प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि ग्रामीण महिलाओं की स्थिति ठीक नहीं है! उन्होंने सुझाव दिया कि महिलाओं के लिये शिक्षा बहुत आवश्यक है। सोशल स्तर पर महिलाओं को अपने विचार रखने की स्वतंत्रता दी जाये। इससे विकास की राह आसान होगी।
बंगलादेश से आए प्रोफेसर मोहम्मद गुलाम रहमान ने कहा कि मैं मुख्यमंत्रीजी का आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे आमंत्रित किया। प्रदेश सरकार का बेटी बचाओ अभियान बहुत सराहनीय है। इस अभियान में बहुत कार्य हुए हैं। उनके देश ने भी भारत का एक स्लोगन छोटा परिवार-खुशी परिवार का नारा दिया है। प्रचार-प्रसार के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर दिया। उन्होंने मीडिया से महिलाओं के विचार को बढ़ावा देने की सलाह दी।
सत्र की अध्यक्षता श्रीमती अर्चना सहाय ने की। अन्य प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।