जबलपुर। मध्यप्रदेश में स्मार्ट मीटर का दौर शुरू होने वाला है। बिजली की चोरी रोकने का यह नया फार्मूला अब कंपनियां लांच कर रही है। ये मीटर खरीदना और इससे नियंत्रण महंगा काम है इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 1200 करोड यूरो उधार लिया है। जर्मन बैंक यह मदद दे रहा है। जिसके बाद करीब 3.07 लाख उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट मीटर लगा दिए जाएंगे। जो 24 घंटे बिजली कंपनी के रडार पर होंगे। मध्यप्रदेश में स्मार्ट मीटर योजना को क्रियान्वयन का काम पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को मिला है। कंपनी अपने स्तर पर इसकी प्लानिंग कर चुकी है। तीनों कंपनी के साथ समन्वय के बाद योजना बनाई गई है। लाइन लॉस वाले इलाकों पर स्मार्ट मीटर लगाने की तैयारी है ताकि बिजली चोरों पर निगरानी की जा सके। कंपनी प्रबंधन का मानना है कि स्मार्ट मीटर लगाने के बाद उनकी बिजली चोरी में भारी कमी आएगी।
स्मार्ट मीटर का पूरा कंट्रोल सेंट्रलाइज्ड होगा। कंपनी के अफसर दफ्तर में बैठे-बैठे हर समय उपभोक्ता के घर के मीटर का डाटा पढ पाएंगे। इसमें बिजली की खपत हो रही है और लोड व किस वक्त कितने लोड पर मीटर चल रहा है इसकी जानकारी कंपनी के अधिकारी कार्यालय में बैठे-बैठे ऑनलाइन देख सकेंगे। उपभोक्ता के बिल नहीं जमा करने पर घर जाकर लाइन काटना नहीं पडेगा। दफ्तर से ही जब चाहे अफसर बिजली बंद और चालू कर पाएंगे।
मीटर का पूरा हिसाब किताब कम्प्यूटर पर ऑनलाइन दिखाई देखा। प्री-पेड भुगतान का फार्मूला भी स्मार्ट मीटर में होगा। यानि मोबाइल रिचार्ज की तरह ही उपभोक्ता एडवांस राशि देकर बिजली का उपयोग कर पाएंगे। जितनी राशि से मीटर रिचार्ज होने के बाद खुद ही सप्लाई बंद हो जाएगी।
स्मार्ट मीटर को लगाने के लिए वितरण कंपनियों ने फीडर का चयन किया है। जबलपुर में नगर संभाग पूर्व को चुना गया है। इस इलाके में सबसे ज्यादा बिजली चोरी होती है। बिल वसूली भी परेशानी भरी होती है ऐसे में कंपनी इन क्षेत्रों के फीडर पर स्मार्ट मीटर लगाकर लाइन लॉस को कम करने की कोशिश करेंगी। पूरे प्रदेश में 3.07 लाख स्मार्ट मीटर पहले चरण में लगाए जाएंगे।
मध्यप्रदेश पुर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सीजीएम एके जैन ने बताया कि स्मार्ट मीटर को लेकर कंपनी स्तर पर तैयारी की जा रही है। वित्तीय सहयोग से इस योजना को लागू कर लाइन लॉस कम करने का प्रयास होगा।