भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर को नियंत्रण में करने के प्रयासों के बीच ब्लैक फंगस के मरीजों की बढ़ती संख्या और इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन तथा अन्य दवाइयों की कमी के चलते बेहद चुनौतीपूर्ण स्थितियां बनी हुयी हैं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सरकार ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा में विशेष वार्ड बनाए हैं। इसके अलावा कुछ निजी अस्पतालों में भी इस तरह के मरीजों का उपचार चल रहा है। सरकार सभी को इसके इलाज के लिए उपयोग में आने वाले एम्फोटेरिसिन बी मुहैया कराने की भरसक कोशिश में है। सरकार की तरफ से तैयार कराए गए वार्डों में मरीजों का नि:शुल्क उपचार किया जा रहा है।  

भोपाल में हमीदिया के अलावा कुछ निजी अस्पतालों में इस रोग से ग्रसित मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इनमें से अधिकांश वे लोग हैं, जो कोरोना से पीड़ति हुए थे और उससे ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस के शिकार हो गए। कम से कम एक सौ लोगों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। मरीजों के आश्रितों को एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन के लिए आवश्यक औपचारिकताएं पूर्ण कराने के लिए हमीदिया अस्पताल परिसर में पंक्तियों में लगे हुए देखा जा रहा है। इसी तरह इंदौर में 164 मरीज ब्लैक फंगस के हैं, जिनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। इनके इलाज के दौरान मरीज को जटिल शल्य क्रिया से भी गुजरना पड़ रहा है।  

आंख और चेहरे के अन्य हिस्से इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। कमोवेश यही स्थितियां ग्वालियर, जबलपुर में हैं। इसके अलावा दमोह, सिवनी, पन्ना और कुछ अन्य जिलों से भी ब्लैक फंगस के मरीज मिलने की सूचनाएं सामने आयी हैं। पन्ना से यूनीवार्ता के अनुसार पन्ना शहर निवासी एक 45 वर्षीय व्यक्ति को ब्लैक फंगस ने अपनी चपेट में लिया है। इसकी पुष्टि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी पन्ना डॉ. आर. एस. पाण्डेय ने की है। पीड़ित मरीज का जबलपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। डॉ. पाण्डेय ने बताया कि पन्ना निवासी संक्रमित मरीज सुगर के मरीज हैं। बीते माह उनकी कोरोना जाँच हुई थी और रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।

  पॉजिटिव आने के बाद वे अपने घर में ही क्वारेंटाइन थे। बाद में तबियत बिगड़ने पर पीड़ित के परिजन उपचार के लिए उन्हें जबलपुर ले गए। जबलपुर में व्हाइट (सफेद) फंगस का एक मरीज सामने आया है। इस तरह का यह प्रदेश का पहला मामला माना जा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार 15 मई को एक व्यक्ति को सफेद पदार्थ मुंह और नाक से निकलने पर भर्ती कराया गया। उसकी जांच के बाद शल्य चिकित्सा की गयी और उसे सफेद फंगस निकला। अब वह मरीज ठीक हो रहा है और उसे शीघ्र ही अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी। चिकित्सकों का कहना है कि ब्लैक फंगस की तुलना में व्हाइट फंगस से पीड़ति मरीज का इलाज आसान है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *