भोपाल। प्रदेश की ग्वालियर संसदीय सीट पर कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का अच्छा खासा वर्चस्व है, लेकिन जिस तरह से सिंधिया समर्थक कमलनाथ सरकार के मंत्रियों के क्षेत्र में कम मतदान हुआ है। उसके आंकड़ों से कांग्रेस में जीत को लेकर सवाल उठने लगे हैं। साथ ही कांग्रेस में यह चर्चा सामान्य हो गई है कि यदि कांग्रेस ग्वालियर में जीती तो सब ठीक अन्यथा सिंधिया समर्थक मंत्रियों को जवाब देना होगा।

ग्वालियर संसदीय सीट पर 12 मई केा वोटिंग हो चुकी है। 23 मई को परिणाम घोषित होंगे। ग्वालियर लोकसभा में वोटिंग का प्रतिशत बढ़ा है, लेकिन सिंधिया समर्थक मंत्री और विधायक के इलाकों में विधानसभा की तुलना में वोटिंग कम हुई है। जिसको लेकर तरह तरह के सवाल उठ रहे है, वही इन सभी पर प्रत्याशी अशोक सिंह के फेवर में ठीक तरह से काम न करने के आरोप लग रहे है। अशोक सिंह दिग्विजय समर्थक में आते है। अब सवाल ये है कि अगर कांग्रेस ग्वालियर सीट से जीत गई तो सब सामान्य रहेगा, लेकिन हार गई तो सीधे मंत्री और विधायकों पर सवाल उठेंगे और हार का ठीकरा सिंधिया के माथे पर फूटेगा।

ग्वालियर लोकसभा सीट पर 60 फीसदी मतदान हुआ जो 2014 को मुक़ाबले 8 फीसदी ज़्यादा है। इस बढ़े वोटिंग प्रतिशत के बावजूद इलाके के सिंधिया समर्थक मंत्री विधायक सवालों के घेरे में आ गए है। इसके पीछे कारण यह है कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के मुक़ाबले कांग्रेस के मंत्रिय़ों औऱ विधायकों के इलाकों में वोटिंग परसेंटेज बढऩे के बजाय 5 फीसदी तक नीचे हुआ है। इनमें मंत्री इमरती और विधायक मुन्ना लाल, मंत्री प्रद्युम्न और लाखन सिंह शामिल है। इमरती देवी के इलाके में विधानसभा में 68 फीसदी वोट पड़े थे लोकसभा में 63 फीसदी वोटिंग हुई, यहां भी 5 फीसदी वोट घटे मतलब 14 हजार वोट कम पड़े। वही विधायक मुन्ना लाल के इलाके में भी विधानसभा चुनाव के मुकाबले लोकसभा में 4 फीसदी वोट कम पड़े, य़हां 54 फीसदी मतदान हुआ है विधानसभा में ये 58 फीसदी था।इसके अलावा मंत्री लाखन सिंह की भितरवार सीट पर विधानसभा में 72 फीसदी वोट पड़े थे। लोकसभा में 58 फीसदी वोटिंग हुई। यहां 14 फीसदी वोट घटे मतलब 35 हजार वोट कम पड़े। मंत्री प्रदुम्न की ग्वालियर सीट पर विधानसभा में 63 फीसदी वोट पड़े थे। लोकसभा में 58 फीसदी वोटिंग हुई। यहां 5 फीसदी वोट घटे मतलब 12 हजार वोट कम पड़े।

चुनाव परिणाम आने से पहले सिंधिया खेमे के इन मंत्री और विधायक पर दिग्विजय खेमे के कांग्रेस प्रत्याशी अशोक सिंह के लिए काम न करने के भी आरोप लगने लगे है। आरोप है कि जितनी मेहनत मंत्री-विधायकों को जीत के लिए करनी चाहिए थी, उतनी उन्होंने नही की। ऐसे में अगर यहां कांग्रेस को हार मिलती है तो इसके जिम्मेदार ये मंत्री-विधायक होंगें।क ही ना कही इनकी उदासीनता ही हार का कारण बनेगी, वही अगर कांग्रेस ग्वालियर सीट से जीत गयी तो सब सामान्य रहेगा, लेकिन अगर हार गयी तो सीधे मंत्री और विधायकों पर सवाल उठेंगे और सिंधिया पर हार का ठीकरा फूटेगा।

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