भिण्ड। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समर्थन में कल भारत बंद के दौरान लगाए गए कर्फ्यू में पूरी तरह से शांति रही। कल सुबह होते ही लोगों को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई। शांतिपूर्ण बंद के बाद कलेक्टर इलैया राजा टी ने कल शाम छह बजे कर्फ्यू में स्थाई तौर पर खत्म कर दिया।। लेकिन धारा 144 लागू रहेगी। हालांकि कल उन लोगों को कर्फ्यू से परेशानी हुई, जिनके घरों में शादियां थी।
एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद 10 अप्रैल को संभावित बंद के चलते प्रशासन ने सख्ती दिखाई। इससे 10 अप्रैल के एक दिन पहले ही कर्फ्यू लगा दिया। जिले में किसी भी प्रकार के धरना, प्रदर्शन, रैली और जुलूस की अनुमति नहीं दी गई। कर्फ्यू के दौरान जहां शहर का बाजार पूरी तरह से बंद रहा। वहीं लोगों को घर से बाहर निकलने की भी अनुमति नहीं दी गई।
र्क्फ्यू के दौरान जिलेभर में महापुरुषों की प्रतिमाओं की कडी सुरक्षा रही। अनुसूचित जाति की बस्तियों में डॉ भीमराव अंबेडकर के अलावा बाजार में लगी महापुरुषों की प्रतिमाओं की सुरक्षा को लेकर कलेक्टर ने जहां पटवारी, नगरपालिका के आरआई, ग्राम पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक आदि को तैनात किया। वहीं एसपी ने भी सभी प्रतिमाओं पर दो से चार जवानों को तैनात किया था।
भिण्ड जिले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कलेक्टर ने सात बदमाशों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की है। साथ एक बदमाश प्रदीप यादव निवासी लुहारपुरा हाल बेहट रोड मौ को जिलाबदर किया है। दो अप्रैल को भारत बंद में हुई हिंसा के बाद पुलिस अब तक विभिन्न थानों में 44 केस दर्ज कर चुकी है। इनमें 6045 को आरोपी बनाया गया है। जिसमें 295 आरोपी नामजद और 5750 अज्ञात हैं। इनमें 147 को गिरफ्तार कर जेल भेजा चुका है। इसके अलावा शांति भंग करने के आरोप में 100 लोगों को जेल भेजा गया है। जबकि 1683 लोगों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है। वहीं 14 हजार 517 हथियार थानों में जमा कराए जा चुके हैं।
भिण्ड में यह दूसरी बार कर्फ्यू लगाया गया है। पहली बार वर्ष 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौत के बाद देशभर में भड़के दंगे के बाद छह दिन का कर्फ्यू लगाया गया था। शहर के व्यापारी राकेश जैन बताते हैं कि 1984 में पहली बार पता लगा था कि कर्फ्यू क्या होता है। उस समय छह दिन रहे कर्फ्यू में इतनी सख्ती नहीं थी, जितनी इस बार की गई। इस बार सबसे लंबा नौ दिन तक कर्फ्यू रहा। इससे पहले वर्ष 1992 में धारा 144 लागू रही थी।
जिले में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन ने व्यापक स्तर पर इंतजाम किए। जिला मुख्यालय से लहार की दूरी अधिक होने की वजह वहां ग्वालियर एसएएफ के डीआईजी संजय कुमार सिंह को जिम्मेदारी दी गई। जबकि जिला मुख्यालय पर चंबल संभाग के डीआईजी सुधीर वी लार्ड, कलेक्टर इलैया राजा टी, एसपी प्रशांत खरे के साथ रहे। सभी जिम्मेदार अफसरों ने मुश्तैदी से अपनी-अपनी भूमिका निभाई।