मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में इन दिनों मौत का तांडव है. मध्य प्रदेश में कोरोना की वजह से अब तक कुल 39 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें से अकेले इंदौर शहर में 30 की मौत का हैरान और परेशान करने वाला आंकड़ा भी शामिल है.

दरअसल, मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शहर इंदौर कोरोना के कारण बदहवास है. 25 मार्च को पहली मौत के बाद 11 अप्रैल तक इंदौर में कोरोना से 30 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा भी इंदौर में 249 तक पहुंच चुका है, जो मध्य प्रदेश के कुल कोरोना पॉजिटिव पीड़ितों के आंकड़ों का 50% है. मध्य प्रदेश में कोरोना के अब तक कुल 451 मामले सामने आ चुके हैं.
 
इंदौर में लगातार सामने आ रहे कोरोना के मरीजों के आंकड़ों की बात करें, तो इसके पीछे सीएमएचओ इसे पहले पॉजिटिव पाए जा चुके लोगों से मिलने वाले लोग और उनके रिश्तेदारों का अब पॉजिटिव होना बता रहे हैं. वहीं सघन आबादी वाले इलाके भी इसकी एक बड़ी वजह है, जहां से सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं.
 
इंदौर में कोरोना से होने वाली मौतों की दर राष्ट्रीय दर से कहीं ज्यादा है. देश में कोरोना से अब तक हुई मौतों का दर जहां 3.25 फीसदी है, तो वहीं इंदौर में कोरोना से मरने वालों की दर 7.50 है. अब इंदौर को कोरोना से बचाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अफसरों की फौज तैयार की है.
 
सरकार ने 13 ऐसे सीनियर अफसरों को इंदौर भेजा है, जो पहले भी इंदौर में कभी ना कभी काम कर चुके हैं. सभी अफसर इंदौर को अलग-अलग सेक्टर में बांट कर कोरोना की रोकथाम की योजना पर काम करेंगे.

वहीं विपक्ष ने इंदौर में लगातार हो रही मौतों के लिए सरकार की लेटलतीफी को जिम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी के मुताबिक, ‘इंदौर के लिए सरकार कोई योजना इसलिए नहीं बना पाई, क्योंकि सब तबादले में लगे रहे. इंदौर में पुराने कलेक्टर को हटाकर नया कलेक्टर लाया गया. स्वास्थ्य आयुक्त को हटाकर नया आयुक्त लाया गया. स्वास्थ्य विभाग के 70 लोग कोरोना की चपेट में हैं, ऐसे में कैसे खत्म होगा कोरोना.’

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