इंदौर। कोरोना से इन्दौर में बिगड़े हालात व अपेक्षाकृत मृतकों की संख्या बढ़ने को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई हैं। इस याचिका में प्रदेश के मुख्य सचिव, इंदौर कलेक्टर व प्रदूषण बोर्ड को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में चिकित्सा व्यवस्था, फूड सप्लाई, स्कूल फीस जैसे अनेक मुददो को उठाया गया है।
सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी व दिनेश रावत के द्वारा दायर इस जनहित याचिका मे कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण विश्व में जहां मृतक संख्या कुल प्रभावितों का 6.11% और भारत में 3.41% है वहीं इन्दौर में यह आंकड़ा 10.07% पहुँच गया और यह संख्या बढ़ती जा रही है ।
इसी तरह 21 दिन के लॉक डाउन व कर्फ्यू के दौरान इन्दौर में निजी चिकित्सालय, डाक्टर सेवाऐं बन्द हो गयी है, दवाईयां समाप्त होकर मेडिकल स्टोर्स लगभग बन्द हो गयें है। सब्जी-फ्रुट आदि आवश्यक सेवाएं भी विगत 10 दिन से प्रशासन ने बन्द कर रखी है।
प्रशासनिक स्तर पर की जा रही किराना सप्लाय व्यवस्था भी असफल हो गयी है और क्षेत्रीय किराना दुकानो पर स्टाक लगभग समाप्त हो गया है।
आम आदमी के पास नगदी भी समाप्त हो गयी है और बैंकों से नगदी निकालने जाने वालों की गिरफ्तारी की जा रही है। शहर के 38% दिहाड़ी से आजिविका चलाने वालों की तो और बुरी हालत है। ऐसे में लॉक डाउन के अगले 21 दिन जीवन और दूभर हो जाएगा।
याचिका में कहा गया है कि शहर में 3 हजार से अधिक डाक्टर और 5 सौ से अधिक चिकित्सालय होने उपरांत भी स्वास्थ्य सेवाएं ठप्प है। याचिका पर अर्जेंट सुनवाई की गुहार की गई है।
याचिका में कहा गया है कि इंदौर जिले के कुल क्षेत्रफल 3898 वर्ग किलोमीटर में से केवल 131.76 वर्ग किलोमीटर इलाका कोरोना प्रभावित है जो कि कुल क्षेत्रफल का मात्र 3.38 प्रतिशत है। 1800 बस्तियों मैं से 53 बस्तियों में 306 कोरोना संक्रमित पाये गए है।
याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि एम टी एच अस्पताल को कोरोना एकीकृत सेन्टर बनाया जा कर सभी कोराना मरिजो के इलाज की व्यवस्था स्थापित हो, सेठी अस्पताल को द्वितीय चरण की आवश्यकता के लिए तैयार किया जायें, एम वाय व जिला अस्पताल की सामान्य स्वास्थ्य सेवाएं बहाल की जायें, शहर के लगभग 200 निजी हास्पिटल को आगामी 30 दिन के लिए सार्वजनिक निशुल्क सेवाओं के लिए आदेश किया जाये और पालन न करने पर तालाबंदी किया जायें, 3000 प्रायवेट प्रेक्टिशनर चिकित्सकों कि 45 दिन तक अनिवार्य निशुल्क सेवाओं का आदेश दिया जाये, स्कूलों में अवकाश अवधि के शुल्क वसूली पर दण्डातमक कार्यवाही हो, 21सदस्यीय समिति गठित कर आवश्यक सामग्री की होम डिलीवरी के लिए सामूहिक बूथ लेवल व्यवस्था की बनाई जाये, आदि।