खरगपुर। खरगपुर का दिगम्बर जैन मंदिर जिसका अभी पंचकल्यानक होने वाला था उसकी कुछ वेदियों को जैन व्यक्ति विशेष द्वारा खंडित कर दिया गया है। यहाँ बहुत समय से मंदिर जीं में यह विवाद चल रहा था कुछ लोग चाहते थे कि मंदिर जी का नवनिर्माण ना हो, परंतु यहाँ की कमेटी ने दिन रात मेहनत करके और काफी दानियों की मदद से बहुत सुंदर मंदिर का निर्माण किया था। जिसमें बुजुर्गों के लिये लिफ्ट तक की व्यवस्था की गयी थी। व्यक्ति विशेष ने इस बात का इंतजार नहीं किया और मंदिर जी की पुरानी वेदियों से भगवान जीं बिना पंचकल्याण के नयी वेदियों पर प्रतिष्ठित किया और पुरानी वेदियों को खंडित कर दिया साथ में लिफ्ट को तोड़ दिया एवं नयी रेलिंग को भी तोड़ दिया गया। यह सब एलक श्री गोशल सागर जी के सानिध्य में किया गया जो कि यहाँ चतुर्माश के लिए आए थे।

जैन धर्म में संत हमेशा समाज को एकत्रित करते हें एवं मार्गदर्शन करते हें परंतु उन्होंने यह सब होने में अहम भूमिका अदा की, जो कि वही यह सब बहुत अच्छे से सुलझा सकते थे! यह सब १ नवम्बर को कुछ इस प्रकार शुरू हुआ! कमेटी के सेक्रेटरी सुशांत कुमार जी मंदिर के दर्शन करने गए थे तो एलक जी ने उनको पास बुलाया और कहा की सिद्ध चक्र का आयोजन करना हे तो सुशांत जी ने कहा की क्या आपने मंदिर की कमेटी को सूचित किया है की इस बात पर एलक जी नाराज हो गए और उन्होंने कहा की क्या यह मंदिर तुम्हारे बाप का है। इस बात पर सुशांत जी ने बस इतना कहा की आप संत है आप पर यह शब्द उपयोग करना शोभा नहीं देता और इसके बाद एलक जी नाराज हो कर बाहर जा कर अनशन पर बेठ गए एवं सारे समाज को एकत्रित किया और बोला की श्री सुशांत कुमार जैन ने उनसे बहुत अपशब्द कहे, यह भी कहा की उन्हें गालियाँ भी दी परंतु कोई भी व्यक्ति कितना भी क्रोध में परंतु संत को गाली नहीं देगा! समाज ने बिना सच जाने बहुत धरना किया एवं सुशांत जी से सब के सामने माफी भी मँगवायी ! मामला यही शांत हो जाता परंतु एलक जी ने तुरंत अगले दिन सारे भगवान जी को ऊपर नयी वेदियों पर प्रतिष्ठित करा दिया! इससे साफ हो जाता है की यह सब करने के लिए ही अनशन किया गया था। सब को एक तरफ करके यह किया जाए कुछ व्यक्ति विशेष बहुत पहले से यही चाहते थे परंतु कर नहीं पा रहे थे। यही एलक जी इस बात पर भी क्रोध था की पंचकल्याण उनको हाथ से कराया जाए जबकि कमेटी की इच्छा पंडित जी से कराने की थी। जिन दानियों ने दूर बैठ कर बहुत दान दिया खरगपुर का मंदिर बहुत सुंदर होवे पर सब मेहनत पर पानी फिर गया, यह तो ऐसा हो गया की घर कोई और बनाए और कोई आ कर उस पर कब्जा कर लेवे। यही मंदिर बहुत भव्य बनने वाला था एवं जनवरी में पंचकल्यानक हो जाते परंतु अब इसके भविष्य का कुछ नहीं पता! कभी लोगों ने यह नहीं सोचा होगा की कुछ व्यक्ति अपनी मनमानी ना चलने देने पर अपना ही जैन मंदिर की वेदियाँ खंडित कर सकते हे और बने हुए मंदिर को नुकसान पहुँचा सकते हे! ऐसे कर्म करने वाले एवं उनका साथ देने वाले भी उतने ही पाप के भागी है।

श्री दिगंबर जैन सोसाइटी द्वारा बनाये जा रहे नए मंदिर जो कि पुराने मंदिर के ऊपरी तले स्थित है ! यह मंदिर दिगंबर जैन कमेटी द्वारा संचालित किया जाता है! ऊपरी तले के भव्य निर्माण को देख कुछ लोगों मन में लोभ आ गया अतः उन्होंने षडयंत्र रच कर झूठी अफवाह फैलाकर धार्मिक भावना को भडकाया और सोसाइटी द्वारा निर्माणाधीन मंदिर पर कब्जा किया एवं नीचे स्थित 80 साल प्राचीन वेदी को खंडित कर प्रतिमा जी ऊपर ले गए एवं नवनिर्मित वेदी पर विराजमान करने कि योजना बना रहे हैं ! जहाँ नयी प्रतिमा बैठानी है और सारी 49 नयी प्रतिमाएं बनकर तैयार हैं जिनका पंचकल्याणक 3 जनवरी 2020 में होना है। यह सब षडयंत्र खरगपुर में चातुर्मास कर रहे श्री गोशल सागर जी महाराज के निर्देशन में किया जा रहा है ! ज्ञातव्य रहे कि सोसाइटी ने डेढढ़करोड कि लागत से मंदिर का निर्माण किया था जिसमें यहाँ के लोगों ने दान भी नहीं किया था। यह जिन दानियों ने वेदियों एवं नयी प्रतिमाओं के लिया दान दिया था उनको क्या जवाब दिया जाये। यह सब बैठ कर सुलझाया जा सकता था परन्तु मंदिर जी कि प्राचीन वेदियों को खंडित करने कि क्या जरुरत थी ! खंडित वेदियों को देख कर ही आप अपने अश्रुधारा रोक नहीं पाएंगे।

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