भोपाल| लोकसभा चुनाव के बाद से ही प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें जोरों पर है| हालाँकि मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद इन अटकलों पर विराम लगाते हुए यह कह चुके हैं कि उन्होंने अभी इस बारे में नहीं सोचा| जबकि इसके उलट सियासी चर्चाओं से राजनीति गरमाई हुई है| वहीं संकेत मिले हैं कि बजट सत्र से पहले किसी तरह का बदलाव होने की संभावना नहीं है| विधानसभा सत्र के पहले किसी तरह का फेरबदल नहीं होगा और न ही किसी भी मंत्री का विभाग बदला जाएगा। हालाँकि इस बात की चर्चा जोरो पर है कि एक दो दिन में फेरबदल किया जा सकता है| लेकिन सरकार के सूत्र बताते हैं कि यह सिर्फ चर्चा है फिलहाल किसी बदलाव की संभावना नहीं हैं|
दरअसल, सरकार को मजबूत करने के लिए सपा-बसपा, निर्दलीय के साथ ही कुछ वरिष्ठ कांग्रेस विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल किया जाना था और इसके लिए कुछ मंत्रियों से इस्तीफा लिए जाने थे, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा से ही कांग्रेस के अंदरखाने तरह तरह की चर्चा शुरू हो गई और खींचतान भी बढ़ी| इन सबके बावजूद मुख्यमंत्री कमलनाथ बजट सत्र से पहले मंत्रिमंडल विस्तार पर फैसला नहीं करने के मूड में हैं| वहीं सरकार की अस्थिरता को लेकर बीजेपी दवाब बनाने की कोशिश करती रही है और यह प्रचारित किया जाता रहा कि यह सरकार हम नहीं गिराएंगे, खुद ही गिर जायेगी| बीजेपी की दवाब पॉलिटिक्स का असर भी हुआ और कांग्रेस के अंदरखाने खींचतान बढ़ी, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ धीरे धीरे मजबूत हो रहे हैं और ऐसी किसी संभावनाओं को ख़ारिज करते रहे हैं| सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे विधायकों ने भी पिछली बार हुई विधायक दल की बैठक में खुलकर सरकार का समर्थन किया था और सरकार के साथ ही रहने का भरोसा दिलाया था| इसका दूसरा पहलु भी है कि वर्तमान मे कोई विधायक नही चाहता कि दोबारा चुनावी मैदान मे जाए| इसलिए विधायकों का साथ कमलनाथ को मिलता रहेगा|
मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपनों को साधना जरूर चुनौती बना हुआ है| ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के विधायकों की नाराजगी पर संगठन भी हरकत में आ गया है| बजट सत्र से पहले अंदरूनी खींचतान से विपक्ष को दवाब बनाने का मौक़ा न मिले, इसके लिए संगठन चर्चा कर अंतरकलह पर रोकथाम लगाएगी| वहीं अगले कुछ दिनों में सिंधिया भी भोपाल आएंगे| इस दौरान कमलनाथ की उनसे चर्चा हो सकती है| मंत्रिमंडल की बैठक में जो घटना हुई, उसे मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रियों को तवज्जो न देना और विभागीय कामों में ब्यूरोक्रेसी की वजह से आ रही दिक्कत से जोड़कर देखा जा रहा है। सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने दिल्ली में बैठक की और फिर भोपाल में डिनर पार्टी में भी रणनीति बनी थी| मंत्रियों ने विभागीय अधिकारियों के रुख पर आपत्ति उठाई और इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बात करने की रणनिति बनाई। बताया जा रहा है कि कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे को उठाया जाना तय किया गया था, लेकिन सरकारी नौकरियों में अधिकतम आयु सीमा बढ़ाने से उपजे विवाद पर चर्चा से पूरी दिशा बदल गई।