उज्जैन ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद और धरती के बढ़ते तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) को विश्व के समक्ष मौजूदा समय का सबसे बड़ा संकट करार देते हुए आज कहा कि इसका समाधान विस्तारवादी नीति छोडऩे और मूल्यों पर चलकर ही संभव है।
श्री मोदी ने उज्जैन से करीब आठ किलोमीटर दूर निनौरा गांव में आयोजित तीन-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ के समापन समारोह के दौरान 51 सूत्रीय घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा कि इन समस्याओं से निपटने के लिए दुनिया के देशों को विस्तारवाद की नीति से पल्ला झाडऩा होगा, क्योंकि विस्तारवाद का रास्ता हमें संघर्ष की ओर ले जाता है।
दुनिया भर में हो रहे संघर्षों पर रोशनी डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज नैतिक श्रेष्ठता की सोच ही संघर्ष की वजह बनी हुई है। हमें अपने भीतर झांकना होगा और देखना होगा कि किस तरह हम खुद को विकसित कर सकते हैं।’ विस्तार क्षैतिज (हॉरीजेंटल) नहीं उदग्र (वर्टिकल) होना चाहिए। उदग्र विस्तार का मतलब हम अपने अंदर के विचारों और मूल्यों का विस्तार करें। विस्तार की दिशा उदग्र होनी चाहिए और समय रहते इस बारे में हमें नई विधाओं पर ध्यान देना होगा, ताकि टकराव का रास्ता खत्म हो सके।
प्रधानमंत्री ने कहा, भारत विविधताओं वाला देश है और इसकी वजह से दुनिया को यहां टकराव की स्थिति ज्यादा नजर आती है लेकिन हम इसमें भी अच्छाई ढूंढ लेते हैं। हमें यह धारणा छोडऩी होगी कि हमारा रास्ता ही सही है। ऐसी सोच ही टकराव का रास्ता पैदा करती है। हमें ऐसी सोच विकसित करनी चाहिए जो 21वीं सदी के अनुरूप और विश्व के लिए कल्याणकारी साबित हों।
प्रधानमंत्री ने कहा, एक वक्त था जब साधु संतों के लिए समुद्र पार करना अशुभ माना जाता था लेकिन अब वह नजरिया बदला है। इसी तरह कई परंपराएं वक्त के साथ बदल सकती हैं। ज्ञान अमर है और हर युग में उसका महत्व रहेगा।
कुंभ में हर रोज इतने लोग जुटते हैं तो किसी एक देश की आबादी हो सकती है। इस भीड़ का प्रबंधन करना अपने आप में एक कला है। यह दुनिया के लिए प्रबंधन के मामले का अध्ययन भी हो सकता है। उन्होंने इस सिलसिले में चुनाव आयोग का भी जिक्र किया और कहा कि इतने बड़े देश में सफल चुनाव प्रबंधन विश्व के लिए सबक है और दुनिया के लिए यह भी केस स्टडी हो सकती है।

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