नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त बीसीसीआइ की क्रिकेट प्रशासकों की समिति (सीओए) के मुखिया विनोद राय ने भारत में होने वाले पहले डे-नाइट टेस्ट पर रोक लगाने के फैसले पर अपना रुख जाहिर किया है। उन्होंने यह फैसला बीसीसीआइ के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी के बोर्ड के बाकी पदाधिकारियों को अंधेरे में रखकर फैसले लेने की आदत के कारण किया है।

बीसीसीआइ के एक अधिकारी ने कहा है कि नीतिगत फैसले लेने की प्रक्रिया पर विनोद राय सही हैं। सीके खन्ना (बीसीसीआइ के कार्यवाहक अध्यक्ष) और अनिरुद्ध चौधरी (कोषाध्यक्ष) को भी चीजों की जानकारी होनी चाहिए लेकिन अमिताभ और सीईओ राहुल जौहरी ने ऐसा नहीं किया। हालांकि विनोद राय ने भी कई मौकों पर यही प्रक्रिया अपनाई थी। अचानक उन्हें अहसास हुआ कि खन्ना और अनिरुद्ध को भी जानकारी होनी चाहिए।

इससे पहले राय ने अमिताभ और जौहरी को निशाने पर लेते हुए ईमेल लिखा कि मुंबई में क्रिकेट सेंटर में बैठकर चार लोग नीतिगत फैसले नहीं ले सकते। मैं इस पर काम करूंगा। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया था लेकिन मुंबई हेडक्वार्टर को राहुल जौहरी, सबा करीम, अनिरुद्ध चौधरी और आइपीएल के सीओओ हेमंग अमीन संचालित करते हैं।

राय के पत्र के बाद जवाब में अमिताभ ने अपने बचाव में हामी भरी थी। बीसीसीआइ के एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि सीओए के अंतर्गत ही सबा करीम की नियुक्ति हुई थी। अब सबा के इरादे पर क्यों प्रश्न खड़ा किया जा रहा है। राय ने पांच दिनों तक भारतीय खिलाड़ियों की शारीरिक स्थिति, राज्य संघों के आर्थिक तथ्यों और प्रशासनिक व्यवस्था के साथ कई चीजों की वजह से भारत में डे-नाइट टेस्ट की योजना पर रोक लगा दी लेकिन अमिताभ वेस्टइंडीज के दौरे के समय भारत में पहला डे-नाइट टेस्ट कराना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने फोन और ईमेल के जरिये भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री से राय भी मांगी थी। शास्त्री इसको लेकर सकारात्मक थे।

कोलकाता। बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जस्टिस लोढ़ा समिति द्वारा बीसीसीआइ में सुधार के लिए लागू की जाने वाली सिफारिशों के अमल को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं। इस संबंध में सौरव गांगुली ने पत्र लिखकर बोर्ड को सूचित कर दिया है। कुछ ऐसा ही जवाब सौराष्ट्र क्रिकेट संघ के अध्यक्ष मधुकर वोरा ने भी दिया है।

बता दें कि कुछ दिन पहले ही बीसीसीआइ के सचिव अमिताभ चौधरी ने सभी राज्य संघों को मेल लिखकर बोर्ड के संविधान में बदलाव को लेकर यह जानकारी मांगी थी कि अब तक उन्होंने इस बारे में क्या कदम उठाए हैं। चौधरी ने इन संघों को यह जानकारी दी थी कि 13 संघों ने हलफनामा दाखिल कर जस्टिस लोढ़ा समिति की सभी सिफारिशों को जस का तस मान मान लिया है लेकिन गांगुली की मानें, तो उन्हें इन सिफारिशों को लागू करवाने में मुश्किलें आ रही हैं। बीसीसीआइ से जुड़े ज्यादातर राज्य क्रिकेट संघ लोढ़ा की सिफारिशों में बदलाव चाहते हैं। इन संघों ने इन सिफारिशों को लागू करने के लिए हलफनामा दायर नहीं किया है।

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