लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों की सूची जारी होने के साथ ही बीजेपी में नाराज नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है. बीजेपी द्वारा घोषित किए गए अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ स्थानीय कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा है. भिंड, सिंगरौली, मंदसौर और टीकमगढ़ में अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ नाराजगी है तो वहीं बीजेपी के दिग्गज नेता और दिवंगत प्रधामंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा भी टिकट काटे जाने से नाराज हैं. खबर है कि बीजेपी के कई नेता कांग्रेस के संपर्क में हैं.
उधर रूठों को मनाने के लिए बीजेपी पदाधिकारी सक्रिय हो गए हैं. बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि जो भी नेता नाराज हैं, उन्हें मना लिया जाएगा. पार्टी में यह घमासान लोकसभा चुनाव के लिए टिकटों के वितरण के साथ ही शुरू हो गया है. बीजेपी द्वारा अधिकृत तौर पर घोषित किए गए उम्मीदवारों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं का गुस्सा सामने आ रहा है. सीधी से रीति पाठक को उम्मीदवार बनाए जाने के खिलाफ सिंगरौली के जिला अध्यक्ष कांत देव सिंह नाराज बताए जा रहे हैं. हालांकि, उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपने के बाद वापस ले लिया है.
शहडोल में हिमाद्री सिंह का भी जमकर विरोध हो रहा है. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुई हिमाद्री के खिलाफ सांसद ज्ञान सिंह के समर्थक नाराजगी जता चुके हैं. वहीं मंदसौर में उम्मीदवार सुधीर गुप्ता का विरोध बंशीलाल गुर्जर कर रहे हैं. इसी तरह भिंड में संध्या राय के खिलाफ महापौर अशोक अर्गल ने अपनी कड़ी नाराजगी जाहिर की है क्योंकि वे इस सीट से सबसे सशक्त दावेदार माने जा रहे थे. वहीं सांसद भागीरथ प्रसाद को भी टिकट वितरण के कारण नाराज बताया जा रहा है.
टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के उम्मीदवार बनाए गए सांसद वीरेंद्र खटीक के खिलाफ भी स्थानीय स्तर पर आरडी प्रजापति सहित कई बड़े नेता नाराजगी जता रहे हैं. वहीं मुरैना से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पार्टी उम्मीदवार बनाया गया, जिससे अनूप मिश्रा भी नाराज चल रहे हैं. खास बात तो ये है कि ग्वालियर लोकसभा सीट के लिए बनाए गए पैनल में भी अनूप मिश्रा का नाम नहीं है. ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र के लिए बनाए गए पैनल में माया सिंह, विवेक शेजवलकर के नाम हैं. उधर कांग्रेस में इस सीट से अशोक सिंह पार्टी के मजबूत दावेदार हैं.
कयास लगाए जा रहे हैं कि टिकट से नाराज चल रहे बीजेपी के कुछ नेता कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. हालांकि इस मुद्दे पर जब बीजेपी के प्रदेश प्रभारी स्वतंत्र देव सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि कोई कहीं नहीं जा रहा, सब पार्टी के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि कब कौन कहां क्या बन जाए यह कह नहीं सकते. पार्टी सभी कार्यकर्ताओं का ध्यान रखती है, उधर नेताओं की नाराजगी को देखते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता रूठों को मनाने में जुट गए हैं. डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी पार्टी उपाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने संभाली है. बताया जा रहा है कि सहस्त्रबुद्धे ने नाराज नेताओं से बातचीत शुरू कर दी है. वे प्रदेश में पार्टी के दूसरे प्रमुख नेताओं से भी चर्चा कर असंतोष को काबू में करने की कोशिश कर रहे हैं.