इंदौर।  कोरोना के बाद महामारी के रूप में फैल रहे ब्लैक फंगस केे उपचार में काम आने वाली दवा पोसाकोनाजोल का उत्पादन अब इंदौर में होगा। एफडीए ने शहर की दवा कंपनी मैकडब्ल्यू हेल्थकेयर को निर्माण लाइसेंस जारी कर दिया है। कच्चे माल की मारामारी के बीच 10 दिन में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। इस बीच शुक्रवार से फेविपिरावीर (फेबिफ्लू) दवा का उत्पादन इसी कंपनी के प्लांट में शुरू कर दिया है। खास बात ये है कि हैदराबाद जैसे फार्मा हब को इंदौर से फेविपिरावीर की आपूर्ति की जा रही है। पहली बैच का बड़ा हिस्सा हैदराबाद भेजा जा रहा है।

अप्रैल-मई में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप जब चरम पर था तो इंदौर समेत पूरे प्रदेश में फेबिफ्लूू के नाम से पहचानी जाने वाली दवा फेविपिरावीर को लेकर खासी मारामारी मची थी। इन गोलियों को पाने के लिए थोक दवा बाजार में दुकानदारों की लाइन लग गई थी, जबकि मरीजों के लिए परिवार वालों को ऊंची कीमत देकर ब्लैक में गोलियां खरीदना पड़ी थी। गोलियों की आपूर्ति के लिए बाजार मल्टीनेशनल दवा कंपनियों पर निर्भर था। दवा की खेप हिमाचल से आ रही थी। इसके बाद मप्र में दवा के निर्माण शुरू करने की मांग उठी थी। लंबी जद्दोजहद के बाद 8 दिन पहले पोलोग्राउंड स्थित मैकडब्ल्यू हेल्थकेयर को एफडीए ने दवा निर्माण की अनुमति जारी की।

अनुमति मिलने के बाद शुक्रवार को दवा की पहली बैच बनाकर बाजार में उतार भी दी गई। कंपनी के प्रमुख अभिजीत मोतिवाले के अनुसार पहली बैच में फेविपिरावीर की 50 हजार गोलियों का निर्माण किया गया है। इसमें से 30 हजार गोलियां हैदराबाद की एक कंपनी ने खरीदी है जबकि 20 हजार गोलियां प्रदेश के बाजार में आपूर्ति की जा रही है। प्रदेश की मांग के अनुसार अब 24 घंटों में दवा तैयार कर दी जा सकती है। ऐसे में अब प्रदेश में कोरोना के उपचार में काम आने वाली जरुरी दवा की किल्लत की स्थिति नहीं बन सकेगी।

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