भोपाल। अक्षय तृतीया पर अगर कहीं बाल विवाह हुआ तो बैंड-बाजे वालों की भी खैर नहीं। बाल विवाह रोकने के प्रति शासन-प्रशासन इतना गंभीर है कि अगर बाल विवाह होता देखा गया तो सबसे पहले बैंड-बाजा बजाने वालों की बैंड बज जाएगी। इस बार बाल विवाह रोकने के लिए शासन-प्रशासन सहित कई विभागों ने भी कमर कस रखी है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने ‘लाडो अभियानÓ के तहत नियम प्रशासन को सौंपे हैं तो वहीं महिला सशक्तिकरण संचालनालय की आयुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने एसएमएस के जरिए बाल विवाह को रोकने के संदेश अधिकारियों को भेजे हैं।
बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा चतुर्वेदी ने भी शादी के कार्ड में वर और वधू की जन्मतिथि अंकित करने के निर्देश जारी किए हैं। बाल विवाह रोकने के लिए न सिर्फ जिला प्रशासन बल्कि महिला एवं बाल विकास विभाग, बाल संरक्षण आयोग सब साथ खड़े हैं। अक्षय तृतीया 13 मई को है। शुभ मुहूर्त के कारण कई जोड़े इस दिन विवाह बंधन में बंधते हैं, लेकिन कई समुदायों विशेषकर ग्रामीण अंचलों में छोटे-छोटे बच्चों को कच्ची उम्र में ही ब्याहने की परम्परा है। इसके दुष्प्रभाव आगे आने वाले समय में देखने को मिलते हैं। इसी के मद्देनजर शासन-प्रशासन साल दर साल बाल विवाह को रोकने के लिए कड़े नियम बनाता है। हालांकि प्रशासन सामाजिक परम्पराओं में गहरे तक घुस आई इस कुरीति को जड़ से निकालने में पूर्ण सफल नहीं हो पाया है। हर वर्ष अक्षय तृतीया के मौके पर बाल विवाह के कई मामले देखने-सुनने को मिलते हैं तो कई बार ऐसे केस मीडिया की सुर्खियां बन जाते हैं। प्रशासन की इस सख्ती से निपटने के लिए कई पक्ष अक्षय तृतीया के एक-दिन आगे पीछे भी चोरी-छिपे शादी करने लग गए थे, जिसके चलते इस बार प्रशासन के साथ कई विभागों की कड़ी निगाह बाल विवाहों पर रहेगी। महिला एवं बाल विकास विभाग ने बैंड-बाजा वालों पर भी सख्ती से कार्रवाई की बात कही है। प्रशासन का कहना है कि यदि बैंड-बाजे वालों को लगता है कि परिणय सूत्र में बंधने वाला जोड़ा बालिग नहीं है तो वे संबंधित थाने या प्रशासन में इसकी जानकारी दें या कार्रवाई के लिए तैयार रहें।