भोपाल। हां मैने भाजपा छोड दी, क्योंकि में निकटठू नहीं हूं, बिना काम के नहीं रह सकता। मेरी सक्रियता व अनुभव को देखकर मुझे पार्टी में भी कार्य देना चाहिये था, इसकी मुझे पीडा है। आज उक्त पीडा मध्यप्रदेश के पूर्व दिग्गज मंत्री रहे बालेन्दु शुक्ल ने पत्रकारों से कही । हालांकि शुक्ल ने कहा कि भाजपा में उन्हें कार्यकर्ताओं का बेहद प्यार मिला। लेकिन अब में अपनी मातृ पार्टी में आ गया हूं। अब में नये संकल्प के साथ दोगुने जोश से कांग्रेस के लिये काम करूंगा। आज पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के समक्ष कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद पूर्व मंत्री बालेन्दु शुक्ल बेहद तरोताजा व सक्रिय दिखाई दिये। उन्होंने कहा कि भाजपा मेंं मेरा काफी समय निकला, उन्होंने पार्टी के लिये बेहतर काम करने की कोशिश की, लेकिन पार्टी ने उन्हें जिम्मेदारी व काम नहीं सौंपा। जिसका अफसोस है। शुक्ल ने कहा कि इस भाजपा में कोई संदेह नहीं है कि भाजपा कार्यकर्ताओं का उन्हें बेहद प्यार मिला, सम्मान मिला। 

शुक्ल ने कहा कि भाजपा को उनकी राजनैतिक सक्रियता व अनुभव का लाभ उठाना चाहिये था, लेकिन यह मौका उन्हें नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि पार्टी छोडने के और कारण में न जायें। कांग्रेस नेतृत्व मेरे मेरे से लगातार संपर्क में था। मुझे उन्होंने पूरा सम्मान दिया, मेरी बात को समझा , इसलिये मेरी घर वापसी हो रही है। शुक्ल ने कहा कि वह कांग्रेस के सिपाही के तौर पर पार्टी के लिये काम करते रहेंगे और अंचल में कांग्रेस की मजबूती के लिये दमदारी से काम करेंगे।

 ज्ञातव्य है कि पूर्व मंत्री बालेन्दु शुक्ल का ग्वालियर-चंबल संभाग में अपना बेहद कसावट वाला राजनैतिक वजूद है। स्व. माधवराव सिंधिया के बाल सखा के रूप में वह बेहद चर्चित राजनैतिक हस्ती रहे। उनका ग्वालियर का झांसी रोड स्थित बंगला प्रदेश का महत्वपूर्ण राजनैतिक केन्द्र हुआ करता था। वह कई बार अपने लोगों के लिये उनका आउट ऑफ वे जाकर काम करना ही उनकी लोकप्रियता का प्रमुख कारण रहा। स्व. माधवराव सिंधिया के असमायिक निधन के बाद उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया से उनकी कतई नहीं पटी। क्योंकि बालेन्दु शुक्ल हाजिरी लगाने से परहेज करते थे। बाद में बालेन्दु ने इसी उपेक्षा , अनबन में आकर पहले बसपा और फिर भाजपा ज्वाइन कर ली थी। अब उनका पुन: वापसी अंचल में कांग्रेस को राजनैतिक मजबूती प्रदान करेगी। कांग्रेसियों का ऐसा मानना है कि झांसी रोड स्थित उनका बंगला फिर से राजनैतिक शक्तियों का केन्द्र बनेगा। 

एक समय बालेंदु शुक्‍ल और स्‍वर्गीय माधवराव सिंधिया की खासी घनिष्‍ठता रही। सन 1980 में सिंधिया ही उन्‍हें नौकरी छुड़वाकर राजनीति में लाए थे। बाद में 2008 वे भाजपा में शामिल हो गए थे।

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