भोपाल ! मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बांस शिल्पियों को लुभाने के लिए सौगातों का पिटारा खोल दिया है। राज्य के बांस शिल्पियों को पांच हजार रुपये तक का कर्ज ब्याज मुक्त मिलेगा, वहीं 10 हजार से पांच लाख रुपये तक के कर्ज पर 25 हजार रुपये का अनुदान और पांच प्रतिशत की दर से पांच वर्ष तक ब्याज अनुदान दिया जाएगा।
राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री आवास पर सोमवार को हुई बांस शिल्पी पंचायत में चौहान ने कहा कि प्रदेश में बांस एवं बांस शिल्पियों के हितों के संरक्षण के लिए बांस एवं बांस शिल्प बोर्ड गठित किया जाएगा। प्रदेश में बांस की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बांस विकास मिशन स्थापित किया जाएगा। पारम्परिक तौर पर बांस शिल्प का काम करने वालों को शिल्पी का दर्जा दिया जाएगा और उनका पंजीयन भी किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने एलान किया कि बांस शिल्पियों को बैंकों से लिए ऋण पर पांच प्रतिशत की दर से पांच वर्ष तक ब्याज अनुदान राय सरकार देगी। मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना के तहत बांस शिल्पियों को बैंकों से स्वीकृत 10 हजार रुपये के ऋण पर पांच हजार रुपये का अनुदान, शून्य प्रतिशत ब्याज पर पांच हजार रुपये, 10 हजार से पांच लाख रुपये तक के ऋण पर 25 हजार रुपये का अनुदान तथा पांच प्रतिशत की दर से पांच वर्ष तक ब्याज अनुदान दिया जाएगा। मुख्यमंत्री चौहान ने इस मौके पर कहा कि बांस शिल्पियों का पंजीयन किया जाएगा।
पंजीकृत बांस शिल्पियों को सामाजिक सुरक्षा के लिए प्रसूति सहायता, विवाह सहायता, चिकित्सा सहायता, छात्रवृत्ति, आकस्मिक मृत्यु पर सहायता, दुर्घटना पर सहायता योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। बांस शिल्पियों को आई टी अाई में प्रशिक्षण दिया जाएगा और प्रशिक्षण के दौरान शिष्यवृत्ति दी जाएगी। बांस शिल्पियों को उत्पादन के विपणन में सहयोग के लिए हाट मेलों में स्टाल उपलब्ध कराए जाएंगे।
वन मंत्री सरताज सिंह ने कहा कि कुटीर उद्योग शिल्पकारों का उत्थान कर सकता है। उन्होंने कहा कि बाँस शिल्प की दुनिया के बाजार में पहचान बनाने के अच्छे अवसर हैं। उन्होंने कहा कि बाँस मिशन बनाया गया है। इसके अंतर्गत बाँस शिल्पियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि पहली बार प्रदेश में बाँस शिल्पियों के कल्याण और भविष्य निर्माण के लिये यह प्रयास किया गया है। पूर्व सांसद नारायण प्रसाद केसरी ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को धानुक, बसोड़ समाज को संगठित करने और बाँस निगम बनाने की पहल करने की सराहना की। उन्होंने कहा कि बाँस शिल्प का आधुनिक प्रशिक्षण देने के लिये प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की जाना चाहिये।
पंचायत में धानुक समाज, बरार और बसोर समाज के लिये काम कर रहे विभिन्न संगठनों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने बाँस शिल्पी समुदाय के कल्याण के लिये सुझाव दिये। संयुक्त वंशकार समाज कल्याण समिति के सी.ए. वंशकार ने माँग-पत्र का वाचन किया और बाँस विकास निगम बनाने की पहल करने के लिये समाज की ओर से मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य घनश्याम बरूनिया ने बरार समाज के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये मुख्यमंत्री की सोच की सराहना की। अखिल भारतीय धानुक समाज के राय अध्यक्ष एस.डी. बंशकार ने समाज की सामुदायिक गतिविधियों के लिये भवन की जरूरत बताई। के.डी. राही ने 13 सूत्रीय माँग-पत्र पढ़ा।

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