कर में कटौती और छूट ऐसे शब्द हैं, जो करदाताओं को उत्साहित करते हैं और इस अंतरिम बजट ने यही काम किया है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में करदाताओं द्वारा करों का भुगतान करने और कर कानूनों का अनुपालन करने पर देशवासियों की तारीफ की। उनके अनुसार करदाताओं की संख्या बढ़ी है, जिससे पिछले कुछ वर्षों में कुल कर संग्रह में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
बजट में प्रस्ताव रखा रखा गया है कि वित्त वर्ष 2019 -20 के दौरान पांच लाख रुपये तक कमाने वाले किसी भी शख्स को आयकर नहीं देना पड़ेगा। धारा-80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक का निवेश करने वालों को अतिरिक्त फायदे मिलेंगे। मतलब यह हुआ कि गृह ऋण, स्वास्थ्य बीमा या दूसरी कर बचाने वाली योजनाओं में निवेश से कर छूट की सीमा सालाना साढ़े छह लाख रुपये की आमदनी तक पहुंच जाएगी। लेकिन अब दस फीसदी का आयकर स्लैब नहीं होगा।

शुरुआत बीस प्रतिशत आयकर से होगी और सामान्य तथा वरिष्ठ नागरिकों के अंतर को भी खत्म कर दिया गया है। इसी क्रम में बजट में वेतनभोगी करदाताओं के लिए मानक कटौती का भी जिक्र किया गया है। मेडिकल और यातायात भत्ते के रुप में पचास हजार रुपये की यह प्रस्तावित रकम पिछले साल की तुलना में दस हजार रुपये ज्यादा है।

करदाताओं को मिली सहूलियतें सेवानिवृत्त या उन लोगों, जो सिर्फ बैंकों और डाकघरों में अपनी जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज पर निर्भर हैं, को मिली हैं। दस हजार रुपये के बजाय अब इनको मिलने वाले ब्याज पर कर तभी लगेगा, जब राशि 40,000 रुपये से ज्यादा होगी। इसे कर छूट नहीं कहा जा सकता। इस सीमा के भीतर ब्याज अर्जित करने वालों को अब भी अपनी जमा पूंजी की ब्याज आय पर कर का भुगतान करना होगा। जो लोग नए प्रावधानों के दायरे में होंगे, वे कर के रिफंड के हकदार होंगे।

बजट में उन लोगों को भी लाभ देने की घोषणा की गई, जिनके पास कई घर हैं। अब उन्हें अपने दूसरे घर पर कोई भी कर नहीं देना होगा। मौजूदा नियम, जिसके तहत यदि आपका दूसरा घर है, तो किराये के रूप में आपकी आय में एक निश्चित रकम जुड़ जाती थी। धारा-54 के तहत दो घरों का उपयोग करने की अनुमति दी जा रही है। यदि आप अगले वित्तीय वर्ष में आवासीय संपत्ति बेचते हैं, तो आप निवेश के लिए दो संपत्तियों में छूट का दावा करने के पात्र होंगे।

ऐसा भी नहीं है कि करदाताओं को मिली राहत से उनकी बचत बढ़ेगी। जीएसटी के माध्यम से अप्रत्यक्ष करों ने लोगों का खर्च बढ़ा दिया है। पहले से ही हम वित्तीय लक्ष्यों और सपने पूरे करने के लिए व्यक्तियों द्वारा लिए गए ऋण में वृद्धि देख रहे हैं। ईएमआई के सहारे सरकार लोगों के घर के सपने को हासिल करने में जरूर मदद करेगी; लेकिन यह तभी संभव होगा, जब उनकी वित्तीय हैसियत बढ़ती जाए। आर्थिक अनिश्चितताओं के दौर में यह एक बड़ा जोखिम है कि कर बचाने के लिए प्रधानमंत्री आवास या अन्य योजनाओं के तहत ऋण लिया जाए!

समझना यह है कि सरकार को पैसा कहां से मिल रहा है? कोई भी सरकार करों को तभी कम कर सकती है, जब उसे दूसरी जगह से अतिरिक्त कमाई हो रही हो। सभी वस्तुओं और सेवाओं का उपभोग करने वालों द्वारा भुगतान किए जाने वाले जीएसटी की सफलता ही सरकार को करदाताओं पर आयकर के बोझ को कम करने के लिए विश्वास दिला सकती थी। यह एक जेब से पैसे निकालने और दूसरे में डालने के अलावा और कुछ नहीं है।

इसलिए, इससे पहले कि आप कर बचत या अपने घर में ज्यादा लक्ष्मी आने की खुशी मनाएं, इत्मिनान से समझ लें कि आपको वास्तव में क्या हासिल हुआ। उदाहरण के लिए, 6,000 रुपये की वार्षिक बचत एक दिन में लगभग 15 रुपये की बचत है। वित्तीय उत्पादों में कर बचत निवेश के आर्थिक निहितार्थ को समझना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *