ग्वालियर । बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई भी समझौता बर्दाश्त नहीं होगा। स्कूल वाहनों में सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें। यदि कोई कमी पाई गई तो इसके लिये स्कूल प्रबंधन पूरी तरह जवाबदेह होगा। बच्चों की सुरक्षा को लेकर गत नवम्बर माह में जारी किए गए आदेश में निर्धारित बिंदुओं का पालन भी स्कूल प्रबंधनों को सुनिश्चित करना होगा, अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। यह निर्देश कलेक्टर राहुल जैन एवं पुलिस अधीक्षक डॉ. आशीष ने निजी स्कूलों के प्रबंधकों व प्राचार्यों तथा बस ऑपरेटर्स की संयुक्त बैठक में दिए।
शुक्रवार को यहाँ कलेक्ट्रेट के सभागार में आयोजित हुई बैठक में कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने निजी स्कूलों के प्राचार्यों व प्रबंधकों को आगाह करते हुए कहा कि सीबीएसई व आईसीएसई, स्कूल शिक्षा विभाग व माध्यमिक शिक्षा मण्डल से संबद्ध जिले के सभी शासकीय व प्राइवेट स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर 21 नवम्बर को दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-133 के तहत विस्तृत आदेश जारी किया गया है। यदि इस आदेश में दर्शाए गए बिंदुओं का पालन नहीं हुआ तो भारतीय दण्ड विधान की धारा-188 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जायेगी। कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी से एक हफ्ते में इस आदेश के पालन के संबंध में स्कूलवार पालन प्रतिवेदन माँगा है।
कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने स्कूल वाहनों की सुरक्षा के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय एवं शासन द्वारा समय-समय पर जारी किए गए आदेशों व निर्देशों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। साथ ही स्पष्ट किया कि जो स्कूल वाहन सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं हैं, उन्हें जब्त किया जायेगा। कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने स्कूली बच्चों के परिवहन में लगीं गैस किट से चलने वाली वैन व अन्य वाहन जब्त करने की हिदायत डीएसपी ट्रैफिक व आरटीओ को दी। साथ ही कहा कि ऑटो रिक्शा में भी 12 वर्ष से कम आयु के 5 बच्चों से अधिक और 12 वर्ष से अधिक आयु के 3 से अधिक बच्चों को न बिठाया जाए। अन्यथा ऑटो रिक्शा से स्कूली बच्चों का परिवहन पूर्णत: बंद करा दिया जायेगा।
स्कूल प्रबंधकों को आगाह करते हुए कलेक्टर ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर जारी किए गए आदेश के तहत अशासकीय विद्यालयों को अपने समस्त शैक्षणिक तथा गैर शैक्षणिक स्टाफ से इस आशय का शपथ पत्र अनिवार्यत: लेना होगा कि उनके विरूद्ध लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम तथा किशोर न्याय अधिनियम के तहत कोई भी मामला दर्ज नहीं है। साथ ही बस ड्रायवर, चौकीदार, माली इत्यादि सहित समस्त प्रकार के स्टाफ का चरित्र सत्यापन भी अनिवार्यत: कराना होगा। कलेक्टर ने यह भी कहा कि स्कूल वाहन एक दूसरे को कदापि ओवरटेक न करें। खटारा बसें बच्चों के परिवहन में कदापि इस्तेमाल न की जाएँ।
कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक ने यह भी निर्देश दिए कि विद्यालय में प्रवेश एवं निकास द्वार के साथ-साथ ऐसे सभी स्थानों पर सीसीटीव्ही कैमरे लगाए जाएँ, जहाँ से आगुंतकों के क्रियाकलापों पर नजर रखी जा सके। सीसीटीव्ही कैमरे के रिकॉर्डिंग भी निर्धारित अवधि तक सुरक्षित रखनी होगी। विद्यालयों की वाउण्ड्रीवॉल मजबूत हो तथा उसमें यथा संभव तीन या चार गेट हों। विद्यालय के प्रवेश द्वार पर एक टेलीफोन अथवा मोबाइल फोन की व्यवस्था रहे, जिससे जरूरत पड़ने पर तत्काल सूचना का आदान-प्रदान किया जा सके। सेंट्रलाइज्ड पब्लिक एनाउंसमेंट सिस्टम और अलार्म सिस्टम भी लगाना होगा। हर विद्यालय में एक शिकायत पेटी रखी जाए। जिसमें अभिभावक अथवा विद्यार्थी अपनी शिकायतें डाल सकें। शाला प्राचार्य नियमित रूप से इस शिकायत पेटी को खोलकर संबंधित की समस्या का समाधान करें।
पुलिस अधीक्षक डॉ. आशीष ने बताया कि स्कूली वाहनों पर नजर रखने के मद्देनजर एक ऐसा मोबाइल एप तैयार किया जा रहा है, जिससे वाहन में समस्या या दुर्घटना होने की स्थिति में बच्चों के घर पर एवं स्कूल में अलार्म सुनाई देगा। बैठक में एडीएम शिवराज वर्मा, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी चौहान, डीएसपी ट्रैफिक मनोज वर्मा व जिला शिक्षा अधिकारी सहित अन्य संबंधित अधिकारी तथा विभिन्न स्कूलों के प्रबंधक व बस ऑपरेटर्स के प्रतिनिधि मौजूद थे।