ग्वालियर। भिण्ड जिले के ऊमरी थाने के बंदीगृह में हुई चोरी के आरोपी की मौत का मामला अभी थम नहीं रहा है। यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है कि कि थाने के बंदीगृह में कोई कैसे आत्म हत्या कर सकता है। हालांकि पूरे मामले की मजिस्ट्रेरियल व विभागीय जांच कराई जा रही है।
19 वर्षीय रज्जन यादव का शव लॉकअप के टॉयलेट में करीब 9 फीट ऊंची खिडकी से फांसी पर लटका मिला है। रज्जन की लम्बाई 5.5 फीट थी। जमीन से पैर करीब 2 फीट रही होगी। इस ऐंगल से फांसी पर लटकना संभव नहीं लगता है। रज्जन का शव जिस फंदे पर लटका मिला, वह फंदा कंबल फाडकर बनाया गया। आमतौर पर कंबल फाडना आसान नहीं है। अगर कंबल इतना कमजोर था कि आसानी से फट गया तो इतने कमजोर कंबल पर कोई कैसे टंग सकता है। लॉकअप की जिस टॉयलेट की खिडकी में रज्जन का शव टंगा बताया जा रहा है वहां ऐसा कोई साधन नहीं है, जिस पर चढकर फंदा बनाया जाए और फांसी पर लटका जाए। ऐसे में बडा सवाल सही है कि रज्जन ने कैसे फंदा बनाया और लटका। रज्जन के शरीर पर चोटों के निशान पूरी कहानी बयान कर रहे है। रज्जन के परिजनों का कहना है कि रज्जन का पहले से कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है। फिर पुलिस ने तीन दिन तक थाने में बंद रखकर उसे शारीरिक यातनाएं दी जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस अपने आपको बचाने के लिए फांसी का नाटक कर रही है।
दिल्ली बीएसएफ में उपनिरीक्षक मृतक रज्जन के जीजा रामनरेश यादव ने बताया कि उन्होंने भिण्ड कलेक्टर इलैया राजा टी व पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन से मोबाईल पर 9 अप्रैल को बात कर बताया था कि वह रज्जन को 6 अप्रैल को उसे घर से ंऊमरी थाने के थाना प्रभारी रामबाबू यादव पकड लाए है। इन अधिकारियों ने भी उनकी बात को तबज्जों नहीं दी। और पुलिस प्रताडना से रज्जन की मौत हो गई। अगर रज्जन चोर था तो उसे न्यायालय में पेश कर के उसकी रिमाण्ड लिया जा सकता था। लेकिन पुलिस उसे छोडने के बदले रुपए मांग रही थी। रुपयों की व्यवस्था नहीं होने पर यह हादसा हो गया।
सुत्रों की मानें तो जग रामबाबू यादव पुलिस में आरक्षक के रुप में ग्वालियर में पडाव थाने में पदस्थ थे तब 20 अक्टूवर 1995 में मुन्ना सिंह तोमर की हत्या के मामले में नामजद हुए थे, हालांकि बाद में न्यायालय से दोषमुक्त हो गए। इससे पूर्व जनवरी 1995 में मुरार थाने में पदस्थ रहने के दौरान रामबाबू यादव के खिलाफ राजू तोमर की फरियाद पर धारा 353, 307, 506बीं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था। कलान्तर में इस प्रकरण मे भी न्यायालय से दोष मुक्त हो गए। उपनिरीक्षक बनने के उपरांत वह भिण्ड आ गए। वह भिण्ड जिले के भारौली थाना प्रभारी होने के उपरांत 14 फरवरी 2015 को सतीश यादव की संदिग्ध मौत हुई उक्त प्रकरण में भी इन पर कई गंभीर आरोप लगे थे। इतना ही नहीं 4 माह पूर्व कल्याण जाटव निवासी ग्वालियर से 7 हजार रुपए छीनने की शिकायत पुलिस अधीक्षक से की गई थी। ये जहां भी रहे विवादों में ही रहे।
पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन ने बताया कि रज्जन की मौत की मजिस्ट्रेरियल जांच न्यायाधीश मोहम्मद अरशद खान कर रहे है। मामले की रिपोर्ट राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी भेजी गई है। इस मामले में जाम भी दोषी होगा उसे सजा मिलेगी।