सागर ! नगर निगम में प्राचार्य औऱ शिक्षक की नियुक्ति निरस्त करने का सामान्य प्रशासन विभाग का आदेश फर्जी निकला। निगम के नेता प्रतिपक्ष ने पत्र की भाषा और उसके कंटेट के आधार पर शक जाहिर किया और उनका शक सही निकला। अब इस सच ने निगम से लेकर सामान्य प्रशासन विभाग तक सनसनी फैला दी है।
सागर नगर निगम में भोपाल के समान्य प्रशासन विभाग से आये एक पत्र ने सनसनी फैला दी है। 20 जून को सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव के नाम से आये इस पत्र में कमिश्नर नगर निगम को म्यूनिसिपल स्कूल के प्राचार्य मनोज अग्रवाल और शिक्षक उमेश विलथरिया की नियुक्ति निरस्त करने के निर्देश दिये गए थे। निगम के कमिश्नर ने इस पर कार्रवाई भी शुरू कर दी थी कि ये दोनों कर्मचारी मदद मांगने नेताप्रतिपक्ष अजय परमार के पास पहुंच गए। पत्र को पढऩे के साथ ही नेता प्रतिपक्ष को पत्र की भाषा का स्तर और लिखने के तरीके पर शक हुआ। जिसके बाद उन्होंने खुद ही अपने स्तर पर मालूमात की तो ये पत्र फर्जी निकला। इसके बाद तो निगम में हडक़ंप मच गया। दरअसल इस पत्र की शुरूआत कृपया संदर्भित पत्र का अवलोकन करें , वाक्य से शुरू हुई है जो किसी अवर सचिव स्तर के अधिकारी की भाषा नहीं हो सकती वहीं शिकायतकर्ता के दस्तावेजों के आधार पर लगता है., जैसा संशय किया गया है जो जांच में इस्तेमाल नहीं किया जाता। किसी भी शक या सुबह पर नियुक्ति निरस्त नहीं की जाती अंत में अत: जैसे शब्दों का उल्लेख किया गया है । श्री परमार ने बताया कि पत्र में आदेश की जगह निवेदन दिखाई दे रहा है। वहीं इस मामले में निगम के उपायुक्त का कहना है कि ये एक बहुत ही गंभीर मामला है। खुद सामान्य प्रशासन ने पत्र भेजकर 20 जून के पत्र का फर्जी होना बताया है। इस मामले में निगम आयुक्त मजिस्ट्रियल जांच की बात कह चुके है।
पत्रों और आदेशों को भेजने और मंगाने की शासन की पुख्ता व्यवस्था के बीच सामान्य प्रशासन विभाग के एक पत्र का फर्जी निकलना गंभीर मामला है। ये काम आवक-जावक के कर्मचारी की मिली भगत के संभव नहीं हो सकता। वहीं सागर में शिकायतकर्ता का सही पता नहीं होने से अब तक मामले में जिम्मेदार शख्स गुमनाम ही है। देखना ये है कि अब इस मामले में शासन कितनी जल्दी और क्या कार्रवाई करता है।

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